2010-03-01 14:29:24

राजनीतिक नेताओँ और काथलिक धर्माध्यक्षों ने एक- दूसरे के कार्यों की सराहना की


गुवाहाटी, 1 मार्च, 2010 सोमवार, (उकान)। गुवाहाटी में आयोजित धर्माध्यक्षों की पूर्वकालिक सभा में उत्तर-पूर्वी राज्यों के राजनीतिक नेताओँ और काथलिक धर्माध्यक्षों ने एक-दूसरे के कार्यों की सराहना की।
उक्त बात की जानकारी देते हुए उकान समाचार ने बताया कि उत्तर-पूर्व के राज्यों के राजनीतिक नेताओं ने धर्माध्यक्षों को उनके क्षेत्र में सभा आयोजित करने के लिये धन्यवाद दिया, तो दूसरी ओर धर्माध्यक्षों ने काथलिक राजनीतिक नेताओं से कहा कि राजनीति में उनकी सक्रिय भागीदारी से उन्हें बल प्राप्त हुआ है।
वे चाहते हैं कि उत्तर-पूर्व राज्यों के राजनीतिक नेताओं के समान अन्य क्षेत्र के लोग भी राजनीति से जुडें और लोगों के लिये कार्य करें।
विदित हो कि 27 फरवरी को उत्तर-पूर्व के 15 राजनीतिज्ञों ने धर्माध्यक्षों से मुलाक़ात की थी। भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन - सीबीसीआई के उपाध्यक्ष, कार्डिनल ऑसवाल्ड ग्रेशियस ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि पूरी काथलिक कलीसिया को उनपर गर्व है। उन्होंने उत्तर-पूर्व की काथलिक कलीसिया की सराहना करते हुए कहा कि यहाँ की कलीसिया ने इतने नेताओं को देश की सेवा के लिये दिया है।
उपस्थित नेताओं में कई युवा नेता थे। उनकी सराहना करते हुए कार्डिनल ने कहा कि धर्माध्यक्षों के लिये यह प्रसन्नता की बात है कि यहाँ की कलीसिया ने कई युवा नेताओं को पैदा किया है।
विदित हो कि धर्माध्यक्षों की पूर्वकालिक महासभा की विषय वस्तु भी युवाओं पर केन्द्रित थी। उनकी विषय वस्तु थी “शांति और सद्भावना के लिये युवा”।
इस अवसर पर बोलते हुए राँची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर टोप्पो ने कहा उत्तर-पूर्वी भारत की छोटी कलीसिया ने नेतृत्त्व के क्षेत्र में जितना योगदान दिया है उतना योगदान तो दक्षिण और उत्तर भारत की परंपरागत कलीसियाओं ने भी नहीं दिया होगा।
धर्माध्यक्षों की सभा में उपस्थित 29 वर्षीय सांसद अगाथा संगमा सबके आकर्षण की केन्द्र बनी हुई थीं। ज्ञात हो कि सांसद अगाथा के दो अन्य भाई भी विधायक हैं ।
सांसद अगाथा को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मंत्रीमंडल में ग्रामीण और राज्यविकास मंत्री बनाया गया है। सुश्री संगमा मेघालय के तुरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करतीं हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए सांसद संगमा ने कहा कि उसकी सफलता में काथलिक कलीसिया का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
आसनसोल के धर्माध्यक्ष सिप्रियन मोनिस ने कहा कि उत्तर-पूर्वी कलीसिया ने जिस तरह से काथलिक नेताओं को पैदा किया है यह अनुकरणीय है।










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