वाटिकन सिटी, 1 मार्च, 2010
सोमवार(ज़ेनित): विश्व के विभिन्न भागों में ईसाइयों पर आक्रमण का कारण धार्मिक कट्टरता
से उत्पन्न घृणा है।
उक्त बातें वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको लोमबारदी
ने उस समय कहीं जब उन्होंने वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम “ऑक्तावा दियेस”
में ईसाइयों पर हो रहे आक्रमणों पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ईसाइयों
पर आक्रमण और तेज़ हो गया है।
फादर लोमबारदी ने उन पर्चियों के बारे में बताया
जो मोसुल में ईसाइयों को बाँटी गई थीं। उनमें ईसाइयों को ईराक छोड़ देने की धमकियाँ दी
गयीं थी।
उन्होंने बताया कि हाल में ईराक में ईसाइयों की जो हत्यायें हुई हैं
वह इस बात की ओर इंगित करतीं हैं कि ईराक में हो रहे ईसाई-विरोधी आक्रमण पूर्व नियोजित
हैं।
इससे यह बात भी उभर कर सामने आयी है कि कट्टरवादी स्थानीय सरकारी अधिकारियों
के नियंत्रण से बाहर हैं।
वाटिकन प्रवक्ता ने बताया कि आँकड़े बताते हैं कि विगत
15 दिनों में 8 ईसाइयों की बेरहमी से हत्या कर दी गयी है।
विगत मंगलवार को एक
हथियारबंद कट्टरवादी ने असीरियन ईसाई परिवार में घुस कर पत्नी और बेटी के समक्ष ही पति
और दो बच्चों की ह्त्या कर दी।
वाटिकन प्रवक्ता ने बताया कि मुसलिम बहुल मोसुल
में 2 हज़ार सालों से अल्पसंख्यक ईसाई रहा करते हैं। आज उनकी संख्या करीब 15 हज़ार है
और वे हर तरह से एक स्थानीय समुदाय के रूप में जीवन व्यतीत करते हैं।
स्थानीय
ईसाइयों पर आक्रमण करना यही दिखाता है कि कट्टवादियों का रोष पश्चिम या विदेशियों के
प्रति नहीं है, पर स्थानीय ईसाई समुदाय के प्रति है।
फादर लोमबार्दी ने आगे कहा
कि ईराक के साथ-साथ एशिया के भारत और पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों में भी ईसाइयों पर आक्रमण
जारी हैं। धार्मिक कट्टवाद घृणा को जन्म देता है और घृणा हिंसा को जिसके शिकार होते हैं
अल्पसंख्यक।
विश्व के कई देशों में ख्रीस्तीय लोग अल्पसंख्यक हैं इसलिये वे हिंसा
के शिकार होते रहे हैं।
वाटिकन प्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि वे मानते हैं कि
धर्म के लिये ईसाई अपने गुरु ईसा-मसीह के समान ही दुःख उठाने के लिये तैयार हैं पर सरकारों
को चाहिये कि वे अल्पसंख्यकों को कानूनी सुरक्षा दें और सबको न्याय दिलायें।