विकास की ओर बढ़ते भारत में काथलिक युवाओं की भूमिका
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की आम सभा असम की राजधानी गुवाहाटी में 24 फरवरी
से तीन मार्च तक सम्पन्न हो रही है। दो वर्षों में एक बार आयोजित धर्माध्यक्षीय आम सभा
में भारत के 164 धर्मप्रान्तों के 163 काथलिक धर्माध्यक्ष विचार विमर्श हेतु जमा हुए
हैं। आम सभा का विषय हैः "विकास की ओर बढ़ते भारत में युवाओं की भूमिका"। आमसभा के प्रथम
दो दिनों के कार्य़क्रमों में लगभग 40 युवा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय
सम्मेलन की युवा प्रेरिताई संबंधी आयोग ने राष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण कराया था ताकि
आगामी दस वर्षों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कलीसिया की युवा नीति तैयार की जा सके। दो
माह में सम्पन्न सर्वेक्षण में 6 हजार युवाओं को शामिल किया गया। सर्वेक्षण का संयोजन
करनेवाले युवा नेता साइबी मैथ्यू ने कहा उक्त सर्वेक्षण दिखाता है कि काथलिक युवा कलीसिया
को महत्व देते तथा अपने धार्मिक विश्वास और मूल्यों की सराहना करते हैं। 90 फीसदी युवाओं
ने कहा कि उनके आध्यात्मिक विकास के लिए रविवारीय ख्रीस्तयाग में शामिल होना महत्वपूर्ण
है। 54 फीसदी ने कहा कि वे पल्ली और धर्मप्रांतीय स्तर पर कलीसिया की गतिविधियों और कार्यक्रमों
में शामिल होना चाहते हैं यदि उन्हें प्रोत्साहन और समर्थन दिया जाता है। 40 फीसदी ने
कहा कि वे लिंग, वर्ग या जाति के आधार पर भेदभाव महसूस करते हैं। अनेक दलित और जनजातीय
समूहों ने कहा कि पल्लियों में उनके साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता है। 68 फीसदी
ने कहा कि धनी परिवारों के युवाओं को विशेष प्राथमिकता दी जाती है। सर्वे के परिणाम को
देखते हुए युवा प्रेरिताई संबंधी धर्माध्यक्षीय आयोग ने कहा है कि कलीसियाई अधिकारी युवाओं
के साथ काम करते समय पारदर्शी बनें ताकि युवाओं की अनेक पहलें भेदभाव या पक्षपात का शिकार
न बनें। आयोग ने जमीनी स्तर पर युवाओं को समर्थन प्रदान करनेवाले मंचों की भी स्थापना
करने का सुझाव दिया है ताकि युवावर्ग का सशक्तिकरण हो और वे कलीसिया तथा समाज की सेवा
कर सकें। आयोग यह भी चाहती है कि आदिवासी, दलित तथा ग्रामीण परिवेश से आनेवाले युवाओं
को कलीसिया और अधिक अवसर उपलब्ध कराये। आयोग ने रोजगार की खोज में घरों से दूर रह रहे
युवाओं की सहायता करने तथा परामर्श देने का कलीसियाई संस्थानों से आग्रह किया है।