रोम, 20 फरवरी, 2010 शनिवार (ज़ेनित)। मानव एक नाजुक प्राणी है जिसे एक दिन मिट्टी
में मिल जाना है पर उसी मिट्टी को ईश्वर ने प्यार किया और उसी मिट्टी से उसकी रचना की। विगत
बुधवार को राखबुध के अवसर पर सन्त सबीना के गिरजाघर में पवित्र यूखरिस्तीय अनुष्ठान के
समय प्रवचन करते हुए संत पापा ने मानव की क्षणभंगुरता पर चिन्तन प्रस्तुत किया। 17
फरवरी को विश्व के काथलिक धर्मानुयायियों ने प्रभु ख्रीस्त के दुखभोग एवं क्रूसमरण की
स्मृति में, भस्म की धर्मविधि के साथ चालीसाकाल का शुभारम्भ किया। इस दिन अपने माथों
पर राख ग्रहण कर भक्त मानव क्षणभंगुरता की याद करते हैं। इस वर्ष 85 वर्षीय कार्डिनल
जोजेफ तोमको के हाथों से संत पापा ने अपने माथे पर राख ग्रहण की। अपने चिन्तन में
संत पापा ने कहा कि राख ग्रहण करना नम्रता का प्रतीक है। यह इस बात की स्वीकृति है कि
मानव मिट्टी से बना है और उसका जीवन क्षणभंगुर है, और एक दिन वह उसी मिट्टी या धूल में
मिल जायेगा जिससे वह सृष्ट किया गया है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि मानव ईश्वर
का प्रतिरूप है और एक दिन वह उसी ईश्वर के पास वापस लौट जायेगा। संत पापा ने इस बात
पर बल दिया कि मनुष्य एक ऐसी मिट्टी है जिसे ईश्वर ने प्यार किया, उसमें अपनी आत्मा फूँक
दी ताकि वह अपने सृष्टिकर्त्ता को पहचाने और उसके आदेशों पर चल अपने जीवन को साकार करे।
ईश्वर ने मानव को स्वतंत्रता भी दी है। इसके फलस्वरूप मानव कई बार ईश्वर की आज्ञा
का उल्लंघन करता और प्रलोभनों में फँस कर यह सोचने लगता है कि वह, बिना ईश्वर के, खुद
ही सब कुछ कर सकता है । संत पापा ने अपने प्रभाषण में कहा कि ईश्वर सबका मालिक है।
मानव मुक्ति ईश्वरीय वरदान है जो सबके लिये है पर इसका उचित लाभ प्राप्त करने के लिये
व्यक्ति की यह स्वीकृति होनी आवश्यक है कि वह येसु के समान जीने के लिये तैयार है तथा
उनके बताये मार्ग पर सदा चलता रहेगा। सन्त पापा ने आगे कहा कि यदि मानव पास्का के
रहस्य में सहभागी होना चाहता है तो यह ज़रूरी है कि वह उन बातों का अनुसरण करें जिसे
येसु ने मरूभूमि में चालीस दिनों के मनन-चिन्तन और उपवास के समय किया था। ईश अवज्ञा
के कारण आदम को आदनबारी से निकाल दिया गया था। आज यदि मानव ईश्वर से फिर से संयुक्त
होना चाहता है तो उसे अपने विश्वास की कसौटी पर ख़रा उतरना होगा। इस प्रक्रिया में येसु
सदा मानव के साथ हैं क्योंकि उन्होंने स्वयं ही शैतान के प्रलोभन एवं मृत्यु पर विजय
पायी है। चालीसा काल ईसाइयों के लिये आध्यात्मिक नवीनीकरण का समय है। यह काल प्रत्येक
ईसाई को इस बात के लिये आमंत्रित करता है कि वह नम्रतापूर्वक येसु के अनुसार चलने का
प्रण करे ताकि वह पाप और मृत्यु पर येसु के समान ही विजयी हो सके। विदित हो कि प्रत्येक
वर्ष राखबुध के दिन संत पापा रोम की अवेन्तिना पहाड़ी स्थित संत सबीना गिरजाघर में यूखरिस्तीय
समारोह की अध्यक्षता करते हैं।