2010-02-17 12:25:23

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
17 फरवरी, 2010


रोम, 17 फरवरी, 2010। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने में कहा


प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज राखबुध है। आज से हम चालीसा काल आरंभ करते हैं और पास्का पर्व की तैयारियाँ शुरु करते हैं।


चालीसा काल हमें इस बात की याद दिलाता है, जैसा कि प्रेरित संत पौल कहते हैं कि हमें ईश्वरीय वरदान को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिये

वरन् इस बात को पहचानना चाहिये कि ईश्वर ने हमें बुलाया ताकि हम दण्डमोचन और आध्यात्मिक नवीनीकरन करें।

आज प्रभु हमें बुला रहें ताकि हम अपना मन-परिवर्तन करें। मन परिवर्तन की बात को राखबुध की धर्मविधि संपन्न करते समय उच्चरित होने वाले दोनों सूत्र बहुत स्पष्ट करते हैं।

पहले सूत्र का प्रयोग करते हुए याजक व्यक्ति के कपाल में राख का मलन करते हुए कहता है, “ हे मानव पाप का त्याग करो और सुसमाचार पर विश्वास करो ”।

ये शब्द येसु के उन वचनों की याद दिलाते हैं जिसे उन्होंने अपने प्रेरितक कार्य करने के ठीक पहले कहा था। इसे हम संत मारकुस के सुसमाचार के पहले अध्याय के 15वें पदों में पाते हैं।

येसु के अनुसार पश्चात्ताप करने का अर्थ है पापमय जीवन का पूर्ण त्याग करना और ईश्वर के साथ एक ऐसा गहरा संबंध स्थापित करना, जो सच्ची स्वतंत्रता, आनन्द और आध्यात्मिक संतुष्टि प्रदान करे।

विश्वासियों के माथे पर राख डाले जाते समय जिस दूसरी प्रार्थना का प्रयोग किया जाता है वह है “ मानव, याद कर तू धूल है और धूल में मिल जायेगा ” ।

यह वाक्य एक ओर हमें याद दिलाता है कि पहले आदम के आदि पाप के कारण हम पापा और मृत्यु के सहभागी हुए हैं तो दूसरी ओर इस बात की ओर इंगित करता है कि दूसरे आदम अर्थात् येसु मसीह के द्वारा हमें स्वतंत्रता और नवजीवन मिला है।

आइये, हम चालीसा काल में त्याग, तपस्या और प्रार्थनामय जीवन व्यतीत करें तथा कलीसिया के संस्कारों को भक्तिपूर्वक ग्रहण करें ताकि हम अपने मन-दिल को शुद्ध और नवीन कर सकें तथा पास्का के वरदानों को प्राप्त कर सकें।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने इंगलैंड, आयरलैंड, लिथुआनिया और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों विद्यार्थियों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना की और उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।














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