2010-02-15 18:23:37

प्रत्येक व्यक्ति को समाज के लिये अपना योगदान देना है - कार्डिनल टोप्पो


राँची, 15 फरवरी, 2010 सोमवार (सीबीसीआई)। राँची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने कहा कि कलीसिया का प्रत्येक सदस्य एक-दूसरे के लिये है और प्रत्येक जन को समाज के लिये अपना योगदान देना है।
कार्डिनल टोप्पो ने उक्त बातें उस समय कहीं जब वे राँची में आयोजित प्रथम पाँचदिवसीय महाधर्मप्रांतीय महासभा के समापन समारोह पर प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि महासभा का सम्पन्न होना वास्तव में विश्वासमय जीवन की शुरुआत है। इस विश्वास को हमें अपने दायित्व के अनुसार जीने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि कलीसिया के पुरोहित, लोकधर्मी, धर्मसमाजी, शिक्षक, माता-पिता विद्यार्थी और आम श्रमिक सब ही येसु के अभिन्न अंग है। येसु हम प्रत्येक को अपने दायित्व और क्षमता के अनुसार ही समाज सेवा करने के लिये बुलाते हैं।
राँची के महाधर्माध्यक्ष ने आगे कहा कि प्रत्येक शिक्षक को छात्रों और अभिभावकों की आवश्यकता है ताकि वह सच्ची शिक्षा प्रदान कर सके।
प्रत्येक स्वास्थ्य सेवाकर्मी को उन लोगों की आवश्यकता है जो चंगा होना चाहते हैं और राजनीतिज्ञों को भी हमारी सहायता की आवश्यता है ताकि समाज का नवनिर्माण हो और उन बातों को समाज से निकाला जा सके जो पूर्ण जीवन जीने में बाधक हैं।
उन्होंने आगे कहा कि पल्ली पुरोहित को पल्लीवासियों की और पल्लीवासियों को भी पल्ली पुरोहित की आवश्यता है। यह इसीलिये ताकि सब कोई अपना योगदान देकर समाज को बदल सकें।
सुसमाचार प्रचार के लिये बनी परमधर्मपीठीय संस्था के अध्ययक्ष कार्डिनल इवान दायस ने वाटिकन से प्रेषित अपने संदेश में लिखा कि महासभा का आयोजन करना महाधर्मप्रांत के लिये एक ऐतिहासिक घटना है।
महासभा ने लोगों को इस बात के लिये आमंत्रित किया है कि वे कलीसियाई जीवन पर चिन्तन करें और भविष्य की कार्ययोजना बनायें। उन्होंने बताया कि धर्मप्रांतीय सिनोद के लिये जो विषयवस्तु चुनी गयी है वह भी अर्थपूर्ण है। विदित हो धर्मप्रांतीय महासभा की विषयवस्तु थी ‘ कलीसिया को प्रेम करो ’।
कार्डिनल डायस ने स्वर्गीय संत पापा जोन पौल द्वितीय के कथनों को उद्धृत करते हुए कहा कि धर्मप्रांतीय महासभा एक प्रशासकीय क्रियाकलाप है जिसमें लोग एक साथ जमा होते हैं, सामुदायिक जीवन और मिशन का मूल्यांकन करते हैं एवं भविष्य के कियाकलापों की रूपरेखा तय करते हैं।
उन्होंने आगे कि सिनोद का कार्य है कलीसिया के मुक्ति सिद्धांत का विस्तार करना और विश्वासियों को प्रोत्साहन देना ताकि वे येसु का अनुसरण कर सकें।
ज्ञात हो कि राँची महाधर्मप्रांत की प्रथम महासभा का आयोजन 7 फरवरी से 12 फरवरी तक किया गया था जिसमें 260 सदस्यों ने हिस्सा लिया। ग़ौरतलब है कि इसमें 69 युवाओं ने भी हिस्सा लिया।
महासभा में जिन मुद्दों पर कुछ विशेष प्रस्वाव पास किये गये वे थे महाधर्मप्रांत का आध्यात्मिक नवीनीकरन, सामुदायिक जीवन, विश्वास-प्रशिक्षण और ‘ फोलो अप प्रोग्राम ’ आदि थे। महासभा ने इस बात पर भी बल दिया कि कलीसिया को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक एवं राजनीतिक नेतृत्त्व को सुदृढ़ करने में सक्रिय भूमिका अदा करनी चाहिये।
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