धर्मविरोधी साम्प्रदायिक संगठनों को प्रतिबंधित घोषित करे सरकार
बंगलोर, कर्नाटक 6 फरवरी, 2010 शनिवार (उकान)। ईसाइयों पर हुए अत्याचारों और हिंसा की
जाँच कर रहे आयोग ने कहा है कि हिंसा के लिये ज़िम्मेदार धर्मविरोधी साम्प्रदायिक संगठनों
को प्रतिबंधित घोषित कर देना चाहिये और उनकी संपत्ति जप्त कर लेनी चाहिये। ज्ञात
हो कि दक्षिण के राज्यों में सन् 2008 में 24 आक्रमण हुए थे। इन ईसाई विरोधी हमलों की
जाँच के लिये न्यायधीश बी. के सोमशेखर के नेतृत्त्व में एक आयोग का गठन किया गया था।
आयोग ने 500 पृष्ठोंवाली एक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी है। इस रिपोर्ट में आयोग
ने स्पष्ट किया है कि ऐसे संस्थाओं और संगठनों को प्रतिबंधित कर देना चाहिये जो किसी
भी धर्म के विरुद्ध लोगों को उकसाते या कार्य करते हैं। रिपोर्ट ने इस बात की भी
सिफारिश की है कि किसी धर्म के विरुद्ध अपमानजनक शब्द या आपत्तिजनक विचारों को अभिव्यक्त
करने वाले को भी प्रतिबंधित कर देना चाहिये। आयोग की रिपोर्ट में इस बात को भी बताया
गया है ईसाइयों पर जो हमले हुए उसके पीछे हिंदु कट्टरवादियों का ही हाथ था। रिपोर्ट
बहरहाल, ईसाइयों की आलोचना किये बिना नहीं रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मामलों
में ईसाई विरोधी हमलों के लिये ईसाइयों के हिन्दु धर्म संबंधी गलत बयान भी जिम्मेदार
हो सकते हैं। इसमें आगे कहा गया है कि बड़ी संख्या में लोगों का ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार
कराने के लिये प्रलोभन दिया जाना भी ईसाई विरोधी हमले का एक प्रेरक तत्त्व हो सकता है। इस
पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य पी.एन. बेन्जामिन ने
कहा धर्मप्रचार और प्रलोभन संबंधी रिपोर्ट निराधार है जो सच्चाई से परे है। उन्होंने
आगे कहा कि आयोग की रिपोर्ट में एक कमी यह है कि इसने हमलों के लिये किसी को दोषी नहीं
ठहराया है और इसलिये उन्होंने आयोग के दस्तावेज़ों को ख़ारिज़ कर दिया है। कर्नाटक
के गृहमंत्री वी. एस. अचारी ने इस बात के लिये आयोग की आलोचना की है कि इसने रिपोर्ट
को विधान सभा में प्रस्तुत करने के पूर्व ही प्रकाशित कर दिया है। उकान समाचार ने
बताया कि बी.के सोमशेखर आयोग चाहता है कि सरकार एक महीने के भीतर ईसाइयों के क्षतिग्रस्त
गिरजाघरों और धार्मिक स्थलों की मरम्मत के लिये मुआवज़ा दे।