2010-02-03 20:38:44

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


रोम, 3 फरवरी, 2010 बुधवार (सेदोक)। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने में कहा –

प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्म शिक्षामाला में हम मध्ययुगीन ईसाई संस्कृति के बारे में चिंतन करना जारी रखते हुए दोमेनिक के योगदान पर विचार करें। जब दोमेनिक स्पेन के ओसमा धर्मप्रांत के एक पुरोहित बने तो उन्हें यूरोपीय देशों में एक मिशनरी के रूप भेजा गया था।

जब वह मिशनरी के रूप में कार्यरत थे तब उन्होंने यह अनुभव किया कि लोगों को एक परिपक्व और योग्य उपदेशक की आवश्यकता है ताकि सुसमाचार का प्रचार भली - भाँति हो सके।

उस समय काथलिक कलीसिया में एक बड़ी समस्या आ गयी थी। कुछ लोगो ने येसु के शरीरधारी होने, उनके पुनरुत्थान और विवाह संस्कार के मूल्यों को स्वीकार नहीं करते थे।

दोमेनिक को उन्हीं के बीच कार्य करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी। दोमेनिक ने निर्धनता को गले लगाते हुए अपना सारा जीवन ऐसे लोगों को समझाने के लिये ही समर्पित कर दिया।

कलीसिया में जिन लोगो ने उन धर्मिक सच्चाइयों को विरोध किया उन्हें अलबेजियनस के रूप में जाना जाता है। आगे चल कर दोमेनिक ने एक धर्मसमाज की स्थापना की जिसके सदस्य दोमेनिकन के रूप में जाने जाते हैं।

विदित हो कि दोमेनिकनों ने संत अगुस्टिन द्वारा दिये गये कई नियम को अपनाया है। दोमेनिकन धर्मसमाज की विशेषता है कि वे ईशशास्त्रीय अध्ययन प्रार्थना औऱ सामूदायिक जीवन को बहुत महत्त्व देते हैं।

दोमेनिक चाहते थे कि उसके धर्मसमाज के सदस्य धर्मशास्र की पूरी जानकारी प्राप्त करें और तब ही प्रवचन देना आरंभ करें।

संत दोमेनिक ने अपने धर्मसमाज के लिये जो आदर्श वाक्य दिया है वह है ‘कोन्तेमपलाता आलिईस त्रादेरे’ अर्थात् ‘अपने चिन्तन का फल दूसरों को बाँटें’ । काथलिक कलीसिया का इतिहास इस बात का गवाह है कि दोमेनिकन धर्मपुरोहितों के कारण ही पवित्र रोजरी माला की भक्ति लोगों में प्रचलित और लोकप्रिय हुई।

और बाद में रोजरी माला येसु के जीवन मरण और पुनरुत्थान के रहस्य को माता मरिया के पक्ष से मनन-चिंतन करने का एक सुन्दर और अर्थपूर्ण साधन है।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने इंगलैड, नाइजिरिया और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों, विद्यार्थियों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना की और उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।











All the contents on this site are copyrighted ©.