2010-01-30 14:15:34

कोढ़ रोग संबंधी अज्ञानता और ग़लत धारणा का अंत हो- महाधर्माध्यक्ष ज़िमोस्की


रोम, 30 जनवरी, 2010 (ज़ेनित) । कोढ़ की बीमारी से ग्रस्त लोगों को हमारी सहायता की ज़रूरत है। उक्त बातें महाधर्माध्यक्ष जिगमुन्ट ज़िमोसकी ने उस समय कहीं जब उन्होंने रविवार 31 जनवरी को होने वाले विश्व कोढ़ दिवस मनाने के लिये एक पत्र प्रेषित किया।
स्वास्थ्य सेवा के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष ने कहा कि कोढ़ या लेपरोसी या ‘हैनसन की बीमारी’ के नाम से जाने वाले इस रोग से आज भी विश्व के हज़ारों लोग पीड़ित हैं।
उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा हाल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार सन् 2009 के अंत में 2 लाख 10 हज़ार लोग कोढ़ बीमारी से ग्रस्त पाये गये हैं।
यह संख्या सिर्फ़ उन लोगों की है जो कोढ़ रोग की दवा लेते रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार लेपरोसी की बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या एशिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में सबसे अधिक है।
यह भी विदित हो कि लेपरोसी से पीड़ित लोगों की सबसे अधिक संख्या भारत में है। ब्राजील अंगोला बांगला देश सेंट्रल अफ्रीकी देश कोंगो, इंडोनेइया, मदागास्कर, मोजामबिक, नेपाल और तंजानिया में भी कोढ़ से पीड़ित लोगों की संख्या बहुत है।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा है कि हैनसेन बीमारी एक बहुत ही पुरानी बीमारी है और इसका प्रभाव आज भी बहुत ही गंभीर है। यह मानव को शारीरिक रूप से कमजोर करता ही है व्यक्ति का मनोबल भी कमजोर कर देता है।
उन्होंने यह भी बताया कि आज भी यह बीमारी समाज के लिये एक बड़ी चुनौती है। उनके अनुसार इस बीमारी से पूर्ण मुक्ति पाने में समाज को इसलिये कठिनाई हो रही है क्योंकि समाज में स्वच्छता का अभाव, अपर्याप्त पोषण और उचित चिकित्सा की कमी है।
इसके साथ लोगों में इस बीमारी के प्रति अज्ञान, भय और गलत धारणाएं इसे जड़ से हटाने में बाधा उत्पन्न करती हैं।
कई लोग तो इस सामाजिक कलंक मानकर रोगी का सामाजिक बहिष्कार कर देते हैं जो उनकी चंगाई के मार्ग में एक बड़ी बाधा बन जाती है।
उन्होंने एक प्रार्थना से अपने वक्तव्य का अंत किया और कहा कि माता मरिया स्वास्थ्य की रानी रोगियों की रक्षा करे और उन्हें स्वास्थ्य प्रदान करें।













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