परमधर्मपीठीय अकादमियों के लिए संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश
(वाटिकन सिटी, सेदोक)- संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने परमधर्मपीठीय अकादमी की 14 वीं
बैठक के 350 प्रतिभागियों को कलीसिया के धर्माचार्य़ संत थोमस अक्वीनस के पर्व दिवस पर
28 जनवरी को क्लेमेंतीन सभागार में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान संस्कृति
अपनी मनोवृति और कार्यपद्धति में यदाकदा सतही और सूक्ष्म रूप से ऐसे दर्शन से प्रभावित
है जिसपर सापेक्षवाद और व्यक्तिनिष्ठवाद का प्रभुत्व है और यह शोध तथा चिंतन की विश्वसनीयता,
वार्ता तथा अंतर व्यक्तिक संवाद को भी प्रभावित कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि असरकारी
गहन अध्ययन और शोध के लिए अपरिहार्य़ परिस्थितियों की पुनःरचना करने की आकस्मिक जरूरत
है क्योंकि प्रभावी वार्तालाप के द्वारा सामान्य प्रगति और समग्र रूप से मानव को तैयार
करने में हम विभिन्न मुद्दों की तुलना कर सकते हैं। ज्ञात हो कि परमधर्मपीठीय अकादमी,
होली सी द्वारा स्थापित है या इसके निर्देशन में काम करती है। इस समय रोम में इस प्रकार
के दस अकादमी हैं जो कला, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, ईशशास्त्र, पुरातत्व विज्ञान और
मारियोलोजी से संबंधित हैं। संत पापा ने अकादमियों का आह्वान किया कि वे गुणवत्तापूर्ण,
सक्षम और प्रभावी योगदान देते रहें ताकि सम्पूर्ण कलीसिया और विशिष्ट रूप से होली सी,
के लिए अवसर प्राप्त हो कि वह समसामयिक संस्कृतियों के साथ संवाद कर सके तथा ज्ञान और
मानवीय अनुभव के विभिन्न क्षेत्रों में आनेवाली चुनौतियों और सवालों का प्रभावी प्रत्युत्तर
दे सके। संत पापा ने कहा कि यह समर्पण पुरोहित उम्मीदवारों के प्रशिक्षण में विशेष रूप
से दिखाई दे जैसा कि पुरोहितों को समर्पित वर्ष की जरूरत है तथा पुरोहितों के ईशशास्त्रीय
प्रशिक्षण द्वारा वार्षिक बैठक के लिए चुने गये शीर्षक के चयन द्वारा इसकी पुष्टि की
गयी है। संत अक्वीनस के लेखों पर चिंतन करते हुए संत पापा ने परमधर्मपीठीय अकादमियों
का आह्वान किया कि कलीसिया के संदर्भ में वे समाज की जरूरत और माँग को समझने के लिए सतर्क
रहें तथा यथार्थ ख्रीस्तीय मानववाद की रचना करने के लिए उपयुक्त और मूल्यवान योगदान दें।