रोमः बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा यहूदियों के साथ घावों के उपचार का आह्वान
रोम में, रविवार 17 जनवरी को, शहर के यहूदी मन्दिर की ऐतिहासिक भेंट के अवसर पर, सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने यहूदियों एवं ख्रीस्तीयों के बीच व्याप्त सब प्रकार के घावों
के उपचार का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कलीसिया ने काथलिक धर्मानुयायियों की उन ग़लतियों
के लिये क्षमा याचना कर ली है जिससे "सामी वाद विरोधी अभिशाप" को बढ़ावा मिला था और अब
उसकी आशा है कि कटुता समाप्त हो तथा पुराने घाव सदा के लिये चंगे हो सकें।
यहूदी
मन्दिर में काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष की यह दूसरी भेंट थी। इससे पूर्व सन् 1986 में
स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने रोम के यहूदी मन्दिर की भेंट कर काथलिक यहूदी इतिहास
का एक नया अध्याय शुरु किया था।
यहूदी मन्दिर में किये अपने प्रभाषण में सन्त
पापा ने यहूदी एवं ख्रीस्तीय धर्मों की समान आध्यात्मिक धरोहर पर चिन्तन किया तथा द्वितीय
विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों की रक्षा हेतु परमधर्मपीठ के प्रयासों की पुष्टि की।
यहूदी
काथलिक सम्बन्धों के सुधार में द्वितीय वाटिकन महासभा के महत्वपूर्ण योगदान का स्मरण
दिलाकर सन्त पापा ने कहा कि उक्त महासभा दोनों धर्मों के बीच सम्वाद, भ्रातृत्व एवं मैत्री
के प्रति संकल्परत रहने के लिये महान प्रेरक सिद्ध हुई।
नाज़ी काल के दमनचक्र
की कड़ी निन्दा कर सन्त पापा ने याद किया कि थर्ड राईख़ की विनाशकारी योजना सन् 1943
में रोम तक पहुँच गई थी जब लगभग 1000 यहूदियों को घेर कर आऊशविट्स के नज़रबन्दी शिविरों
में भेज दिया गया था।
उन्होंने कहा, "इन दर्दनाक घटनाओं की स्मृति हमें अपने
सम्बन्धों को मज़बूत करने के लिये बाध्य करती है ताकि हमारे बीच विद्यमान आपसी समझदारी,
सम्मान और परस्पर स्वीकृति का भाव निरन्तर विकसित होता रहे।"
ग़ौरतलब है कि कई
यहूदी दलों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों की रक्षा न करने तथा नाज़ी शासन
काल की कुयोजनाओं की निन्दा न करने के लिये काथलिक कलीसिया एवं ततकालीन सन्त पापा पियुस
12 वें को दोषी ठहराया है। सन् 1939 से 1958 तक सन्त पापा पियुस 12 वें काथलिक कलीसिया
के परमाध्यक्ष थे।
रविवार को यहूदी मन्दिर में सन्त पापा का अभिवादन करते हुए
रोम के यहूदी समुदाय के अध्यक्ष रिकार्डो पाचीफिची ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया
जा सकता कि इटली के काथलिकों ने नाज़ियों के अत्याचारों से यहूदियों की रक्षा की थी किन्तु
सन्त पापा पियुस का मौन अभी भी चोट पहुँचाता है।
सन्त पापा ने नाज़ी काल
के अत्याचारों की निन्दा करते हुए इन्हें घृणा की अति निरूपित किया तथा स्वीकार किया
कि इस मानव त्रासदी के प्रति कई लोग उदासीन रहे थे। तथापि, उन्होंने कहा, "परमधर्मपीठ
ने विच्छिन्न, परोक्ष एवं विवेकशील ढंग से पीड़ितों की सहायता का प्रयास किया था।"
यहूदी मन्दिर में सन्त पापा की भेंट के बाद रोम के प्रधान रब्बी रिकार्डो दे
सेन्नी ने कहा कि सन्त पापा के प्रभाषण ने मरहम का काम किया है तथा पाचीफिची ने कहा कि
पियुस 12 वें का यद्यपि सन्त पापा ने ज़िक्र नहीं किया तथापि उनके नपे तुले शब्दों ने
दर्शा दिया है कि वे हमारी व्यथाओं से परिचित हैं। इस बीच इसराएल के प्रधान मंत्रि सिलवान
शालोम ने बताया कि उन्होंने सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें से निवेदन किया है कि वे द्वितीय
विश्व युद्ध के वाटिकन दस्तावेज़ों के अध्ययन की अनुमति दें ताकि सभी प्रकार की आशंकाओं,
सन्देहों एवं भ्रान्तियों को दूर किया जा सके।