देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 17 जनवरी को संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण
में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ
किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए कहाः अतिप्रिय
भाईयो और बहनो, इस रविवार को हम आप्रवासियों और शरणार्थियों का विश्व दिवस मनाते
हैं। इन लोगों के पक्ष में कलीसिया की उपस्थिति हर काल में सतत रूप से रही है और विगत
सदी के आरम्भ में यह सर्वोच्च ऊँचाई तक पहुँची। धन्य धर्माध्यक्ष जियोवान्नी स्कालाबरिनी
और संत फ्रांसिस काबरिनी के बारे में हमें सोचने की जरूरत है। इस अवसर के लिए दिये गये
मेरे संदेश में मैंने युवा प्रवासियों और शरणार्थियों की ओर ध्यान देने का आह्वान किया
है। येसु ख्रीस्त जो नवजात शिशु थे और जिन्होंने हेरोद के भय से शरणार्थी होने के भयानक
अनुभवों को जीया था उन्होंने अपने शिष्यों को सिखाया कि वे बच्चों का स्वागत महान आदर
और प्रेम से करें। बच्चे भी, वास्तव में, उनकी राष्ट्रीयता या उनका रंग कुछ भी हो उन्हें
सदैव और सबसे पहले एक इंसान माना जाये। वे ईश्वर के प्रतिरूप हैं और किसी भी प्रकार के
शोषण और पार्श्वीकरण से उनकी रक्षा की जाये। विशेष रूप से यह आवश्यक है कि प्रत्येक किशोर-किशोरी
जो विदेश में रहते हैं उनकी कानूनन रक्षा की जाये तथा उनके सामने आनेवाली असंख्य समस्याओं
पर ध्यान दिया जाये। मैं उन ख्रीस्तीय समुदायों और संगठनों को विशेष रूप से प्रोत्साहन
देता हूँ जो युवा आप्रवासियों और शरणार्थियों की सहायता करने के कार्य में संलग्न हैं।
मैं प्रत्येक जन से अपील करता हूँ कि यथार्थ सुसमाचारी भाव में उनके प्रति शैक्षणिक और
सांस्कृतिक संवेदनशीलता को जगाये रखें। इस अपराह्वकाल में, वंदनीय संत पापा जोन पौल
द्वितीय की ऐतिहासिक दौरे के लगभग 24 वर्षों बाद मैं रोम के यहूदी मंदिर जाऊँगा जिसे
महान मंदिर कहा जाता है और जो नगर के यहूदी समुदाय की जरूरतों को पूरा करता है, काथलिकों
और यहूदियों के मध्य मित्रता और समझौते की यात्रा पर यह अगला कदम होगा। वस्तुतः समस्याओं
और कठिनाईयों के बावजूद दो धर्मों के विश्वासियों के बीच हम महान सम्मान और संवाद के
माहौल का अनुभव करते हैं जो संबंध के परिपक्व होने तथा हमें एकता में बाँधनेवाली मूल्यों
के प्रति सामान्य समर्पण का साक्ष्य देता है। सबसे पहले एक ईश्वर पर विश्वास, लेकिन साथ
ही परिवार के जीवन की रक्षा तथा सामाजिक न्याय और शांति की आकांक्षा है। अंत में,
मैं रेखांकित करना चाहता हूँ कि कल से ख्रीस्तीय एकता के लिए प्रार्थना करने का पारम्परिक
सप्ताह आरम्भ होता है। प्रति वर्ष यह ख्रीस्त विश्वासियों के लिए एकतावर्द्धक भावना को
नवीकृत करने, प्रार्थना करने तथा एकसाथ चिंतन करने के उपयोगी समय की रचना करता है। संत
लुकस रचित सुसमाचार से लिया गया बाइबिल शीर्षक प्रेरितों के लिए कहे गये पुर्नजीवित येसु
के शब्दों को प्रतिध्वनित करता है- तुमलोग इन बातों के साक्षी हो। येसु के सुसमाचार की
हमारी उदघोषणा और अधिक निष्ठावान और प्रभावी होगी जितना अधिक हम सच्चे भाईयों की तरह
उनके प्रेम में संयुक्त होंगे। इसलिए मैं पल्लियों, धार्मिक समुदायों, कलीसियाई अभियानों
और संगठनों को सतत प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करता हूँ, वे ख्रीस्तीयों के मध्य
पूर्ण एकता के लिए यूखरिस्त समारोह के समय विशेष रूप से प्रार्थना करें। हम इन तीन मनोरथों-
हमारे प्रवासी और शरणार्थी बंधुओं, यहूदियों के साथ धार्मिक संवाद और ख्रीस्तीयों के
मध्य एकता को पवित्रतम माता मरियम ख्रीस्त की माता और कलीसिया की माँ की मध्यस्थता के
सिपुर्द करते हैं। इतना कहने के बाद संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान
किया।