कुआला लुमपुरः मलेशिया में हिंसा का कारण राजनीति, धर्म नहीं,
मलेशिया के काथलिक धर्माध्यक्षों का कहना है कि देश में विगत दिनों ख्रीस्तीयों के विरुद्ध
हुए आक्रमणों का कारण राजनीति है धर्म नहीं।
इस सप्ताहान्त देश के नौ ख्रीस्तीय
गिरजाघरों पर हुए हमलों की पृष्टभूमि में मलेशिया के काथलिक धर्माध्यक्षों ने पुनर्मिलन
का आह्वान किया तथा इस बात पर बल दिया कि इस प्रकार हिंसा देश की छवि को नुकसान पहुँचाती
है।
वाटिकन के सुसमाचार प्रचार परिषद की प्रेस संस्था फीदेस द्वारा जारी एक विज्ञप्ति
में धर्माध्यक्षों ने शनिवार को तीन काथलिक एवं छः प्रॉटेस्टेण्ट गिरजाघरों पर हुए हमलों
पर गहन खेद व्यक्त किया। विज्ञप्ति में बताया गया कि इस समय मलेशिया, सिंगापुर एवं ब्रूनई
के काथलिक धर्माध्यक्षों की पूर्णकालिक सभा होनेवाली है किन्तु ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा
के कारण उन्हें अपनी कार्यसूची पूर्णतः बदलना पड़ी है।
विज्ञप्ति में मलेशिया
के इस्लाम एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के बीच विद्यमान मैत्री की ओर ध्यान आकर्षित
कराया गया और कहा गया कि इस प्रकार के हमले मलय इस्लाम के नाम का अपयश करते हैं जो "अन्य
धर्मों के साथ शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व के लिये जाना जाता है।"
फीदेस ने बताया
कि वास्तव में नरमपंथी मुसलमान दलों ने हिंसा को रोकने के लिये गिरजाघरों के आसपास रखवाली
की व्यवस्था की है।
धर्माध्यक्षों ने कहा कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हिंसा को
रोकने के लिये कृतसंकल्प हैं इसलिये किसी भी प्रकार के उत्तेजक कृत्य का वे प्रत्युत्तर
नहीं देंगे।
ग़ौरतलब है कि 31 दिसम्बर को मलेशिया के उच्च न्यायालय ने ईश्वर
को अल्लाह नाम से पुकारे जाने पर ख्रीस्तीयों पर लगे प्रतिबन्ध को हटा दिया था जो कुछ
चरमपंथी मुसलमानों के रोष का कारण बन गया है। ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दोनों धर्मों के
लोगों का कहना है कि हिंसा राजनीति से संलग्न है जिसका धर्म से कोई ताल्लुक नहीं।