नयी दिल्ली, 8 जनवरी, 2010 (उकान) चर्च के अधिकारियों ने उस सरकारी रिपोर्ट का विरोध
किया है जिसमें कहा गया है कि चंडीगड़ के सेक्रेड हार्ट स्कूल से एक छात्रा को किसी दबाव
में आकर निकाल दिया गया था और उसी के फलस्वरूप छात्रा ने तीन साल बाद आत्महत्या कर ली।
ज्ञात हो कि रुचिका गिरहोत्रा नामक एक दसवीं कक्षा की छात्रा ने सन् 1990 में आत्महत्या
कर लिया था जब हरियाना के डायरेक्टर जेनरल ऑफ पुलिस एस रोठौर ने उसके साथ दुर्व्यवहार
किया था। चंडीगढ़ प्रशासन की जाँच रिपोर्ट के अनुसार यह पाया गया है कि सुरुचि गिरहोत्रा
को स्कूल से निकालने की वज़ह उसका स्कूल फीस समय पर जमा नहीं कर पाना था। मजिस्ट्रेट
प्रेरणा पुरी ने कहा कि प्रधानाध्यापिका सिस्टर एस. सेवासतियान और अन्य शिक्षक रुचिका
के साथ वह हुए दुर्व्यवहार के प्रति अनभिज्ञता जाहिर की हैँ। फिर इस रिपोर्ट में इस बात
का भी खुलासा किया गया है चंडीगढ़ के सेक्रेड हार्ट स्कूल से सिर्फ सुरुचि को ही फीस
न देने के आरोप में स्कूल से निष्कासित किया है। सीबीसीआई और शिमला डायसिस और स्कूल
प्रबंधन ने इस रिपोर्ट का विरोध किया है। शिमला डायसिस के विकर जेनरल थोमस अंकियानिकल
ने कहा है कि स्कूल किसी में दबाव में आकर कोई निर्णय नहीं लेती है। किसी भी विद्यार्थी
को सिर्फ़ इसीलिये स्कूल से नहीं निकालती है कि उसने फीस पूरा नहीं दिया हो। उन्होंने
यह भी कहा कि छात्रा की मृत्यु की किसी भी ज़िम्मेदारी प्रबंधन पर नहीं है। सीबीसीआई
के प्रवक्ता ने कहा कि सुरुचि गिरहोत्रा की आत्महत्या खेदपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा
कि सरकारी रिपोर्ट में सच्चाई नहीं है।