तुर्की के राजदूत ने संत पापा को प्रत्यय पत्र सौंपा।
वाटिकन सिटी, 7 जनवरी, 2010 (सेदोक)। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने गुरुवार 7 जनवरी
को वाटिकन के लिये नवनियुक्त तुर्की गणराज्य के राजदूत का प्रत्यय पत्र स्वीकार किया
उनसे मुलाकात कीं।
राजदूत से मिलते हुए संत पापा ने तुर्की के राष्ट्रपति अबदुल्लाह
गुल का भी अभिवादन प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया।
प्रत्यय पत्र के प्रत्युत्तर
में संत पापा ने कहा कि बहुत ही जल्द वाटिकन और तुर्की के बीच स्थापित राजनयिक संबंधों
के पचास वर्ष पूरे हो जायेंगे।
इस रिश्ते की शुरुआत उस समय हुई थी जब संत पापा
जोन 23वें पोप थे । उन्होंने खुद ही पोप बनने के पूर्व वाटिकन के राजदूत के रूप में इस्तांबुल
में कई वर्षों तक कार्य किये थे।
संत पापा ने कहा कि पचास वर्ष पूर्व जिस आपसी
संबंध और सहयोग की नींव डाली गयी थी वह निश्चय ही आऩे वाले दिनों में मजबूत और स्थिर
होगी।
राजदूत से बातें करते हुए संत पापा ने सन् 2006 में सम्पन्न अपनी प्रेरितिक
यात्रा की याद की जब वे तुर्की गये थे। उन्होंने कहा कि उन्हें आज भी याद है कि तुर्की
वासियों ने कितने आत्मीयता से उनका स्वागत किया था।
संत पापा ने इस बात को भी
याद किया कि उन्होंने तुर्की के पैट्रियार्क बारथोलोमियुस प्रथम से फनार में मुलाकात
की थी।
संत पापा ने कहा कि मुसिलम बहुल तुर्की गणराज्य में ईसाइयों का योगदान
महत्त्वपूर्ण रहा है। तुर्की के ईसाई समुदाय ने अपनी प्राचीन विरासत के प्रति सचेत रहते
हुए देश के विकास के लिये अपना बहुमूल्य योगदान दिया है।
संत पापा ने आगे कहा
कि हाल में सम्पन्न तारसस के प्रेरित संत पौल के जन्म की दो हज़ारवीं जयंती ने विश्व
के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है।
संत पापा ने ईसाइयों के द्वारा तीर्थयात्रियों
को लिये किये गये उन कार्यों की चर्चा की जिसमें उन्होंने उनके लिये सारी सुविधायें मुहैया
करायी थीं। राजदूत के साथ बात करते हुए संत पापा ने तुर्की के सभी मुसलमानों को भी अपनी
शुभकामनायें दीं।
ईसाई के महाधर्मगुरु का मानना हैं कि ईसाई और मुसलिम समुदाय
ईश्वर पर भरोसा रखते हुए अंतरधार्मिक वार्ता के युग में प्रवेश करेंगे और एक-दूसरे का
सम्मान करते हुए आपसी संबंध को सुदृढ़ कर करेंगे।
उन्होंने कहा कि उनकी भगवान
से प्रार्थना है कि वे दोनों समुदायों को विशेष करके मध्य-पूर्वी क्षेत्र में रहने वाले
लोगों के साथ संबंध को मजबूत करने में मदद दें।
संत पापा ने कहा कि ईसाई इस बात
की सराहना करते हैं कि तुर्की के संविधान में धर्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गयी है। तुर्की
के ईसाइयों ने देश के विकास और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सदा ही अपनी सेवायें दीं हैं।
संत पापा ने यह भी आशा व्यक्त की है कि तुर्की की सरकार ईसाइयों की मदद करेगी और
धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करेगी ताकि वे देश की सेवा कर सकें। संत पापा ने यह भी आशा
जतायी है कि तुर्की ही एक ऐसा देश होगा जो इस्लाम और पश्चिम देशों के बीच एक क़ड़ी का
कार्य कर सकता है।
संत पापा ने कहा इतिहास इस बात का गवाह है कि तुर्की ने कई
क्षेत्रीय विवादों और जातीय प्रतिद्वंद्विता का समाधान संतोषजनक ढंग से निकाला है।
ऐसा
तब ही संभव हो सकता है जब लोगों की वैध आकांक्षाओं का सम्मान किया जाये। संत पापा ने
बताया कि वे स्थायी शांति और सुलह को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।
संत पापा
ने अंत में यह भी आश्वासन दिया कि वाटिकन के विभिन्न विभाग सदा ही इस बात के लिये तत्पर
हैं कि वे समस्याओं के समाधान के किसी भी राजनयिक प्रयास को सहायता प्रदान करें।