2010-01-04 12:21:43

वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, रविवार तीन जनवरी को सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने भक्त समुदाय को इस प्रकार सम्बोधित कियाः

“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
ख्रीस्त जयन्ती महापर्व के बाद आये दूसरे तथा नववर्ष के प्रथम रविवार को, प्रभु में, आप सबके प्रति शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए मैं अत्यधिक प्रसन्न हूँ। कलीसिया में, विश्व में और परिवारों के दैनिक जीवन में समस्याओं की कमी नहीं है तथापि हम ईश्वर को धन्यवाद दें कि हमारी आशा न तो असंम्भावित भविष्यवाणियों और न ही आर्थिक पूर्वाकलनों पर टिकी रहती है यद्यपि ये महत्वपूर्ण हैं। हमारी आशा ईश्वर में है धार्मिकता के आम भाव अथवा विश्वास का नकाब पहने भाग्यवाद में नहीं। हम उस ईश्वर में विश्वास करते हैं जिसने, येसु ख्रीस्त में, पूर्ण एवं निश्चित रूप से मनुष्य के साथ रहने एवं उसके इतिहास में भागीदार बनने की इच्छा को प्रकट किया है ताकि हम सबको, प्रेम एवं जीवन से परिपूर्ण, अपने राज्य की ओर ले जा सके। यह महान आशा हमारी मानवीय आशाओं को प्रेरित करती और कभी कभी उन्हें संशोधित भी करती है।"

सन्त पापा ने आगे कहाः .......... "आज की यूखारिस्तीय धर्मविधि के लिये प्रयुक्त विशिष्ट समृद्ध बाईबिल पाठ इस प्रकाशना के विषय में बताते हैं: सिराख के ग्रन्थ का 24 वाँ अध्याय, एफेसियो को प्रेषित सन्त पौल के पत्र को शुरु करनेवाला गीत तथा सन्त योहन रचित सुसमाचार का आमुख। बाईबिल के ये पाठ केवल इस तथ्य की पुष्टि नहीं करते कि ईश्वर विश्व के सृष्टि कर्त्ता हैं- ऐसा तथ्य जो सभी धर्मों के लिये सामान्य है- अपितु यह भी प्रकाशित करते हैं कि ईश्वर पिता हैं जिन्होंने सृष्टि की रचना से पहले हमें चुना था ... तथा, सन्त पौल के पत्र के अनुसार, "उन्होंने प्रेम से प्रेरित होकर आदि में ही निर्धारित किया कि हम येसु मसीह के द्वारा उनके दत्तक पुत्र बनेंगे" (एफे. 1,4-5) और इसीलिये उन्होंने मानव बनने जैसा कल्पनातीत कार्य किया और हमारी मुक्ति के लिये मानव बन गयेः सन्त योहन रचित सुसमाचार के अनुसार "शब्द देह बना और उसने हमारे बीच निवास किया" (योहन 1,14)।

उन्होंने कहाः…… "शब्द के देहधारण के रहस्य की तैयारी पुराने व्यवस्थान में ही हो गई थी, विशेष रूप से, जब ईश प्रज्ञा की पहचान मूसा की संहिता में हुई। वस्तुतः यही ईश्वरीय प्रज्ञा इस तथ्य की पुष्टि करती है, "विश्व के सृष्टिकर्त्ता ने मुझे डेरा डालने का आदेश देकर कहा, "याकूब में डेरा डालो, इस्राएल में निवास करो और मेरी प्रजा में जड़ पकड़ो।" मानव हृदय पर अंकित, ईश्वर की संहिता, येसु ख्रीस्त में, जीवन्त साक्षी बनी, उन्हीं में, पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से, ईश्वरीय तत्व की परिपूर्णता निवास करती है (कलो. 2,9)।"

तदोपरान्त सन्त पापा ने कहाः ........... "प्रिय मित्रो, वास्तव में यही है मानवजाति की आशा का कारण, इतिहास अर्थपूर्ण तब ही हो सकता है जब उसमें ईश्वर का वास होता है। तथापि, ईश्वरीय योजना अपने आप ही परिपूर्ण नहीं हो जाती क्योंकि वह प्रेम की योजना है और प्रेम स्वतंत्रता को जन्म देता तथा स्वतंत्रता की मांग करता है। ईश राज्य अवश्य आता है बल्कि वह आ ही गया है, वह मानव इतिहास में उपस्थित है तथा ख्रीस्त के आगमन से उसने बुराई की शक्ति पर विजय पा ली है। किन्तु प्रत्येक स्त्री एवं प्रत्येक पुरुष का दायित्व है कि वह, प्रतिदिन अपने जीवन में, ईश राज्य का स्वागत करे। अस्तु, सन् 2010 भी उसी अनुपात में "अच्छा" होगा जिस अनुपात में प्रत्येक व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करते हुए ईश कृपा के साथ सहयोग करेगा। पवित्र कुँवारी मरियम की ओर हम अभिमुख होवे ताकि उनसे इस आध्यात्मिक व्यवहार की शिक्षा पा सकें। ईश पुत्र ने उनसे देहधारण किया किन्तु उनकी सहमति के बिना नहीं। अस्तु, हर बार जब प्रभु हमारे संग मिलकर, प्रतिज्ञात भूमि की ओर, एक कदम आगे बढ़ाना चाहते हैं वे सर्वप्रथम हमारे हृदय का दरवाज़ा खटखटाते हैं, मानो, छोटे बड़े सभी चयनों में हमारी "हाँ" की प्रतीक्षा करते हों। मरियम हमारी मदद करें कि हम विनम्रता एवं साहस के साथ सदैव ईश्वर की इच्छा का स्वागत करें क्योंकि जीवन की परीक्षाएँ एवं पीड़ा भी न्याय एवं शान्ति पर आधारित ईश राज्य के शीघ्र आगमन में सहयोग करते हैं।"


इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया --------------------------------------------------------------









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