2010-01-01 12:56:34

वाटिकन सिटीः नववर्ष के दिन मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, शुक्रवार, पहली जनवरी को नववर्ष के उपलक्ष्य में, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने भक्तों को इस प्रकार सम्बोधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
आज प्रभु हमें उनके नाम में तथा पवित्रतम मरियम की दृष्टि तले नववर्ष के शुभारम्भ का वरदान देते हैं, मरियम जिनके दैवीय मातृत्व का हम आज पर्व मना रहे हैं। सन् 2010 की इस प्रथम देवदूत प्रार्थना के लिये आप सबसे मिलकर मैं अति प्रसन्न हूँ। आज, यहाँ, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, इतनी विशाल संख्या में, एकत्र आप सभी को सम्बोधित करता हूँ और उन सबको भी जो रेडियो एवं टेलेविज़न के माध्यम से हमारी प्रार्थना से जुड़े हैं: सबके लिये मेरी मंगलकामना है कि अभी अभी शुरु हुआ नववर्ष, प्रभु कृपा से, वह शुभ काल सिद्ध हो जिसके दौरान हम अपने सामान्य आवास यानि विश्व को एक बेहतर स्थल बना सकें।"

सन्त पापा ने आगे कहाः "एक लक्ष्य जिसमें सब भागीदार हो सकते हैं तथा जो शान्ति के लिये अपरिहार्य है वह है, धरती के संसाधनों की व्यवस्था न्याय एवं विवेक के साथ करना। "यदि शान्ति स्थापित करना चाहते हो तो सृष्टि की रक्षा करो": इसी सामयिक एवं प्रासंगिक विषय पर मैंने 43 वें विश्व शान्ति दिवस के लिये प्रकाशित अपना सन्देश समर्पित रखा है, जिसे आज मनाया जा रहा है। जिस समय यह शान्ति सन्देश प्रकाशित किया जा रहा था उसी समय राष्ट्रों के अध्यक्ष एवं सरकारों के प्रतिनिधि जलवायु पर शिखर सम्मेलन के लिये डेनमार्क के कोपेनहागेन शहर में एकत्र थे जहाँ एक बार फिर विश्व स्तर पर ठोस कदम उठाये जाने की अनिवार्यता सामने उभरी। तथापि, इस क्षण, मैं इस बात को रेखांकित करना चाहता हूँ कि पर्यावरण की रक्षा में व्यक्तियों, परिवारों एवं स्थानीय प्रशासनों के चयन भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हुआ करते हैं। "ऐसी मानसिकता के प्रभावात्मक परिवर्तन की आवश्यकता अब अपरिहार्य हो गई है जो सभी को नवीन जीवन शैली अपनाने के लिये प्रेरित करे।" (शान्ति सन्देश, अंक 11) सच तो यह है कि हम सब सृष्टि की देखरेख एवं सुरक्षा के लिये ज़िम्मेदार हैं। अस्तु, इस क्षेत्र में भी, प्रकृति की रक्षा करने हेतु तथा वैयक्तिक, पारिवारिक, सामुदायिक एवं राजनैतिक चयनों के स्तर पर, सदैव शान्ति निर्माण के प्रति अभिमुख रहने के लिये, शिक्षा की नितान्त आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहाः "यदि हमें अपने इर्द गिर्द रहने वाले प्राणियों की देखरेख करनी चाहिये तो व्यक्तियों के लिये अर्थात् हमारे अपने भाइयों एवं बहनों के लिये हमें क्या करना होगा? मानव जीवन के प्रति किस प्रकार सम्मान हममें होना चाहिये? वर्ष के प्रथम दिन, मैं उन सब व्यक्तियों के अन्तःकरणों को पुकारना चाहता हूँ जो किसी भी प्रकार के शस्त्रों से लैस हैं। इन सबको एवं इनमें से प्रत्येक से मैं कहता हूँ: आप थम जायें, विचार करें तथा हिंसा के मार्ग का परित्याग करें। इस क्षण, यह काम आपको असम्भव प्रतीत हो सकता है किन्तु यदि आप इसे पूर्ण करने का साहस करेंगे तो ईश्वर स्वयं आपकी मदद करेंगे और तब आप अपने हृदयों में शान्ति के आनन्द का अनुभव पा सकेंगे जिसे आपने बहुत पहले भुला दिया है। अपनी इस अपील को मैं माँ मरियम के चरणों में अर्पित करता हूँ। आज की धर्मविधि हमें स्मरण दिलाती है कि शिशु के जन्म के आठ दिन बाद उन्होंने, अपने वर योसफ के साथ, मूसा की संहिता के अनुसार, उसका ख़तना करवाया तथा उसे येसु नाम प्रदान किया जैसा कि देवदूत ने आदेश दिया था (लूक 2,21)। यह नाम, जिसका अर्थ है "ईश्वर बचाते हैं", ईश प्रकाशना की परिपूर्णता है। येसु ईश्वर के मुखमणडल हैं, येसु ही प्रत्येक मनुष्य एवं प्रत्येक जाति के लिये ईश्वर का आशीर्वाद हैं, येसु ही विश्व की शान्ति हैं। पवित्र माँ तुझे धन्यवाद कि तू मुक्तिदाता, शान्ति के राजकुमार, को प्रकाश में लाई।"

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सभी भक्तों पर शान्ति का आह्वान किया तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

तदोपरान्त, सन्त पापा ने विभिन्न भाषाओं में नववर्ष की शुभकामनाएँ अर्पित कीं। अँग्रेज़ी भाषा में उन्होंने कहाः............ "हमारे प्रभु एवं मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त में सान्तवना प्रदान करते हुए मैं आप सबको नववर्ष का हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ। विश्व शान्ति को समर्पित इस दिवस पर मैं प्रार्थना करता हूँ कि सभी ओर के ख्रीस्तीय धर्मानुयायी, ईश माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा, प्रकृति के सावधान प्रबन्धक तथा क्षमा, पुनर्मिलन एवं शान्ति के कर्मिष्ठ प्रवर्तक बन सकें।"









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