2009-12-18 13:18:49

महाधर्माध्यक्ष एम्मानुएल मिलिंगो का याजकीय पद ख़ारिज़


वाटिकन सिटी, 18 दिसंबर, 2009। जाम्बिया के लुसाका के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष एम्मानुएल को काथलिक कलीसिया ने चर्च की याजकीय पद को ख़ारिज कर दिया है।

ज्ञात हो कि करिश्माई व्यक्तित्व वाले फादर मिलिन्गो सन् 2001 में उस समय सुर्खियों में आये थे जब उन्होंने युनिफिकानिस्ट चर्च की एक कोरियन अकुपंचरिस्ट सन मियुंग मून से विवाह करने का प्रयास किया था।

वाटिकन प्रेस कार्यालय ने एक विज्ञप्ति जारी कर इस आशय की जानकारी देते हुए कहा धर्माध्यक्ष मिलिंगो को काथलिक कलीसिया प्रदत्त याजकीय पद को ख़ारिज़ कर देना एक गंभीर बात है।

साथ ही कलीसिया का विश्वास है कि महाधर्माध्यक्ष मिलिन्गो अपनी गलती का अहसास कर पायेंगे। ज्ञात हो कि जब महाधर्माध्यक्ष ने विवाह के प्रयास किये तो भी उनसे उनकी याजकीय पदवी नहीं छीनी।

पर जब सन् 2006 में उन्होंने वाटिकन से अनुमति लिये बगै़र कुछ धर्माध्यक्षों का अभिषेक करने लगे तब वाटिकन सकते में आ गयी। इस अभिषेक के द्वारा महाधर्माध्यक्ष इस बात को भी बढ़ावा रहे थे एक धर्माध्यक्ष विवाह भी कर सकता है।

और तब कलीसिया ने 26 सितंबर, सन् 2006 महाधर्माध्यक्ष मिलिन्गो को चर्च से बहिष्कृत कर दिया।

वाटिकन सूत्रों को मानना है कि इसके बाद भी वे अपनी गलतियाँ दुहराते रहे और कलीसिया की एकता के लिये खतरनाक सिद्ध होने लगे।

याजकीय पदवी हटा दिये जाने का अर्थ कैनन लॉँ की संख्या 292 के अनुसार मिलिन्गो को काथलिक कलीसिया की ओर से याजक होने के नाते जो अधिकार दिये गये थे वह समाप्त हो जायेगा और अब वे कोई भी पुरोहितीय कार्य सम्पन्न नहीं कर पायेंगे। इसके अनुसार वे उनके द्वारा सम्पन्न याजकीय कार्यों को वैध नहीं माना जायेगा।

यहाँ तक कि उन्हें याजकीय वर्दी भी पहनने की छूट नहीं मिलेगी। यह भी विदित हो कि महाधर्माध्यक्ष के द्वारा आयोजित कोई भी धार्मिक समारोह भी अवैध करार दिया गया है।

ज्ञात हो कि 79 वर्षीय एम्मानुल मिलिन्गो का जन्म जामबिया के मुनुकवा में हुआ था। जब वे 39 वर्ष के थे उसी समय उन्हें धर्माध्यक्ष बनाया गया।

उन्होंने दो धर्मसमाज की भी स्थापना की है जिसे ' डॉटर्स ऑफ जामबिया हेलपर्स सोसाएटी ' और ' डॉटर्स ऑफ द रिडीमर ' के नाम से जाना जाता है।

सन् 1983 ईस्वी में वे रोम बुलाये गये और उन्हें प्रवासियों के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया।

ज्ञात हो कि रोम में अपदूतग्रस्त लोगों को चंगा करने के लिये सभाओं का आयोजन करते हुए उन्होंने बहुत लोगों को प्रभावित किया था।











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