2009-12-16 12:08:14

भुवनेश्वरः उड़ीसा में चरमपंथी हिंसा के ख्रीस्तीयों को न्याय की अपेक्षा



इस बीच, उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिन्दु चरमपंथियों की हिंसा के मामले पर सात दिसम्बर को बहरामपुर में ख्रीस्तीय नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कन्धामाल के निवासियों की एक बैठक में स्थिति का जायजा लिया गया। इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि उक्त हिंसा में पाँच हज़ार से अधिक घरों को जला दिया गया या लूट लिया गया, लगभग 300 गिरजाघर ध्वस्त कर दिये गये, पचास हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हो गये तथा लगभग ढाई हज़ार शिकायतें की गई जिनमें से पुलिस अधिकारियों द्वारा केवल 823 दर्ज़ की गई।

नरसंहार के पीड़ितों को मामलों में निष्पक्ष जाँच पर सन्देह है क्योंकि 2007 की हिंसा के लिये अधिकारियों ने क्षतिपूर्ति हेतु जो वादे किये थे वे भी अब तक पूरे नहीं किये गये हैं। हिंसा से पीड़ित लोगों को न्याय दिलवाने के लिये भूवनेश्वर एवं बहरामपुर के काथलिक धर्माध्यक्षों, बरधान के प्रॉटेस्टेण्ट धर्माध्यक्षों, ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल एवं ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क ने मिलकर "साम्प्रदायिक हिंसा प्रपीड़ित संस्थान" का गठन किया है।

सात दिसम्बर की बैठक में इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि अनसुलझी समस्याएँ अनेक हैं। घरों और गिरजाघरों का पुनर्निर्माण धीमी गति से चल रहा है तथा ख्रीस्तीय धर्मानुयायी अभी भी असुरक्षा की भावना में जीवन यापन को बाध्य हैं। "साम्प्रदायिक हिंसा प्रपीड़ित संस्थान" विभिन्न योजनाओं द्वारा पीड़ितों और विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चों की मदद कर रहा है तथा न्याय पाने के लिये नागर प्रशासन पर दबाव डाल रहा है।









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