भारतः विगत पाँच वर्षों में जातीय हिंसा एवं धार्मिक चरमपंथी हिंसा में वृद्धि
नई दिल्ली में, संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा के समक्ष, गृह मामलों के राज्य मंत्री अजय
माकन ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा गया है कि विगत पांच वर्षों में भारत में
धार्मिक और जातीय विविधता द्वारा उत्तेजित हिंसा में तेजी से वृद्धि हुई है।
पिछले
पांच सालों के दौरान आतंकवादी हमलों की संख्या 3,800 से अधिक रही। रिपोर्ट में केवल शिकायत
दर्ज़ मामलों को ही गिनाया गया है जबकि असली संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है। सन् 2004
में 677 हिंसा के मामले दर्ज़ किये गये थे जबकि सन् 2008 में ये 943 हो गये। रिपोर्ट
में कहा गया कि सन् 2009 में भारत के 11 राज्यों से हिंसा के मामले सामने नहीं आये किन्तु
इसके बावजूद देश में हिंसक मामले औसतन प्रतिदिन दो दर्ज़ किये जा रहे हैं। सर्वाधिक हिंसक
मामले महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश में दर्ज़ किये गये जो क्रमशः 681, 654
एवं 613 हैं।
सांप्रदायिक हिंसा विधेयक 2005 नामक विशेष कानून के पुनरावलोकन
की पृष्टभूमि में गृह मामलों के राज्य मंत्री अजय माकन ने उक्त रिपोर्ट राज्यसभा में
प्रस्तुत की। उड़ीसा में ख्रीस्तीयों एवं गुजरात में मुसलमानों के विरुद्ध हिंसक घटनाओं
के मद्देनज़र उक्त कानून के पुनरावलोकन की आवश्यकता महसूस की गई थी।
हालांकि
नई दिल्ली की सरकार अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा को रोकने के लिये नवीन न्यायिक उपकरणों
का अध्ययन कर रही है तथापि हिंसा के शिकार लोगों की शिकायत है कि सरकारी संस्थाओं की
निष्क्रियता के कारण हिंसा जारी है तथा असुरक्षा की भावना सर्वत्र फैली है।