वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
श्रोताओ, रविवार छः दिसम्बर को सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों
के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने भक्तों को इस
प्रकार सम्बोधित कियाः
“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आगमन काल के इस दूसरे
रविवार के लिये निर्धारित धर्म ग्रन्थ पाठ सन्त लूकस रचित सुसमाचार का वह वृत्तान्त प्रस्तुत
करते हैं जो, एक प्रकार से, उस दृश्य की तैयारी करता है जिसमें येसु प्रकट होनेवाले हैं
तथा लोगों के बीच अपना मिशन आरम्भ करने वाले हैं। जैसा कि सन्त लूकस रचित सुसमाचार के
तीसरे अध्याय के एक से लेकर छः तक के पदों में हम पाते हैं। सुसमाचार लेखक मसीह के आने
की पूर्वोदघोषणा करनेवाले अग्रदूत योहन बपतिस्ता की तरफ हमारा ध्यान आकर्षित कराते तथा
सावधानीपूर्वक उनके द्वारा की गई भविष्यवाणी का चित्रण करते हैं। सन्त लूकस लिखते हैं:
"जब कैसर तिबेरियुस के शासनकाल के 15 वें वर्ष में पोंतियुस पिलातुस यहूदिया का राज्यपाल
था; हेरोद गलीलिया का राजा, उसका भाई फ़िलिप इतूरैया और त्रखोनितिस का राजा और लुसानियस
अबिलेने का राजा था; जब अन्नस तथा कैफस प्रधान याजक थे, उन्हीं दिनों ज़करियस के पुत्र
योहन को निर्जन प्रदेश में प्रभु की वाणी सुनाई पड़ी।" दो बातें हमारा ध्यान आकर्षित
करती हैं। प्रथम, सन् 27-28 के फिलीस्तीन में राजनैतिक एवं धार्मिक अधिकारियों की विपुलता।
इससे यह स्पष्ट है कि सुसमाचार लेखक सुसमाचार पढ़ने एवं सुननेवालों को सावधान करते हैं
कि जो कुछ वे पढ़ रहे थे वह कोई दन्तकथा नहीं है बल्कि एक सच्ची कहानी का विवरण है कि
नाज़रेथ के येसु उस सुनिश्चित सन्दर्भ में प्रकट एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं। ध्यान देनेवाली
दूसरी बात यह कि विस्तृत ऐतिहासिक प्रस्तावना के बाद "ईश्वर का शब्द" विषय वस्तु बन जाता
है जिसकी प्रस्तावना योहन बपतिस्ता पर अवतरित ऊपर से आनेवाली शक्ति रूप में की गई है।"
सन्त पापा ने आगे कहाः .......... "कल, धर्मविधिनुसार, मिलान के महान धर्माध्यक्ष,
सन्त अम्ब्रोस का पर्व है। इस सुसमाचार पाठ पर इन्हीं सन्त की टीका का मैं उल्लेख करता
हूँ: " ईश पुत्र – सन्त अम्ब्रोस लिखते – कलीसिया को एकत्र करने से पूर्व स्वयं उसके
सेवक बने। अस्तु, सन्त लूकस का कथन उचित ही है कि ईश वचन उजाड़ प्रदेश में जख़ारियस के
पुत्र, योहन बपतिस्ता पर उतरा, क्योंकि कलीसिया का सूत्रपात मनुष्यों से नहीं हुआ बल्कि
ईश वचन से हुआ। (लूक. 2, 67) तो यह है इसका अर्थः ईश वचन ही वह विषय वस्तु है जो इतिहास
को आगे बढ़ाता, नबियों को प्रेरणा देता, मसीह का मार्ग तैयार करता तथा कलीसिया को एकत्रित
करता है। येसु ही दिव्य शब्द हैं जिसने मरियम के निष्कलंक गर्भ से देहधारण कियाः उन्हीं
में ईश्वर पूर्णतः प्रकट हुए हैं, उन्हीं के मुख से ईश्वर हमसे बोले तथा अपने सत्य एवं
अपनी करूणा का द्वार हमारे लिये खोलते हुए उन्हीं के द्वारा उन्होंने हमें सब कुछ दे
डाला। अपनी टीका को जारी रखते हुए सन्त अम्ब्रोस कहते हैं: अस्तु, शब्द इस धरा पर उतरा
ताकि धरती जो पहले उजाड़ पड़ी थी अब हमारे लिये अपने फल उत्पन्न करे।"
उन्होंने आगे कहा ............"प्रिय मित्रो, ईश्वर के शब्द से प्रस्फुटित सबसे अति
सुन्दर पुष्प कुँवारी मरियम है। वे इस धरती पर ईश्वर के उपवन अर्थात् कलीसिया की प्रथम
फल हैं। मरियम निष्कलंक हैं जिनका महापर्व हम मंगलवार, आठ दिसम्बर को मना रहे हैं – कलीसिया
को अनवरत शुद्धीकरण की आवश्यकता है क्योंकि उसके सभी सदस्य पाप के अधीन है। कलीसिया में
सदैव उजाड़ प्रदेश एवं फूलों से लदे उपवन के बीच संघर्ष चला करता है, धरती को सूखा बनानेवाले
पाप एवं पवित्रता के विपुल फल उत्पन्न करने के लिये सिंचित कृपा के बीच संघर्ष चला करता
है।"
अन्त में सन्त पापा ने इस तरह प्रार्थना कीः ..........."आइये हम सब
मिलकर प्रभु की माता से विनती करें ताकि आगमन के इस काल में अपने पथ सीधे करने तथा ईश
वचन द्वारा मार्गदर्शन पाने में वे हमारी मदद करें।"
इस प्रकार, सबसे प्रार्थना
का अनुरोध करने के बाद, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ
देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक
आर्शीवाद प्रदान किया ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------