2009-12-07 13:16:15

ईश्वर के नियमों की रक्षा से ही प्रकृति की रक्षा संभव– संत पापा


वाटिकन सिटी, 7 दिसंबर, 2009। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने डेनमार्क के कोपेनहेगेन में 7 दिसंबर सोमवार से हो रहे जलवायु परिवर्तन संबंधी शिखर सम्मेलन के लिये एकत्रित नेताओं को अपनी शुभकानायें दीं हैँ।

संत पापा ने अपनी शुभकामना-संदेश उस समय दीं जब वे रविवारीय देवदूत प्रार्थना सभा में, संत पेत्रुस महागिरजागर के प्रांगण में एकत्रित लोगों को संबोधित कर रहे थे।

संत पापा ने कहा कि जब हम पूरे विश्व के सुरक्षा की बात करते हैं तो हमें चाहिये कि इस बात पर ध्यान दें कि ईश्वर के नियमों का पालन हो विशेषकरके मानव जीवन की नैतिक नियम का ।

ज्ञात हो कि कोपेनहेगेन में होने वाला जलवायु परिवर्तन पर चलने वाला शिखर सम्मेलन 7 से 18 दिसंबर तक जारी रहेगा। इस सम्मेलन में 192 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहें हैं।

समाचार सूत्रों ने बताया कि इस ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधि जलवायु बदलाव संबंधी कुछ समझौतों को बदलने की बात सोच रहें हैं जिन्हें सन् 1997 में स्वीकार किया गया था। उम्मीद की जा रही है कि ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती पर कोई ठोस सहमति बन पायेगी।



संत पापा ने कहा है कि इस सम्मेलन में उन बातों पर विचार किया जाये जिससे लोग प्रकृति को सम्मान दें और मानव के समुचित विकास के लिये सहयोग करने पर राजी हो सकें ताकि इससे पूरी मानव जाति का कल्याण हो।

संत पापा ने बल देकर कहा कि प्रकृति की तब ही रक्षा हो सकती है जब लोग अपनी जीवन-शैली में बदलाव लायेंगे।

संत पापा ने लोगों को इस बात के लिये आमंत्रित किया कि वे ईश्वर के प्रकृति संबंधी नियमों का पालन करें, कमजोर वर्ग के लोगों के विकास के लिये कार्य करें और मानव जीवन की नैतिकता संबंधी नियमों का पालन करें।

ज्ञात हो कि कोपेनहेगेन में वाटिकन सिटी का प्रतिनिधित्व महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तिनो मिलयोरे करेंगे। महाधर्माध्यक्ष मिलयोरे संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक हैं।








All the contents on this site are copyrighted ©.