वाटिकन सिटी, 1 दिसंबर, 2009। रोमन कैथोलिक अंगलिकन वार्ता के तीसरे दौर में प्रवेश
करेंगे। वाटिकन सूत्रों के अनुसार जब 21 नवम्बर को संत पापा और कंटेरबरी के अंगलिकन
महाधर्माध्यक्ष रोवन विलियम्स के वार्ता हुई थी उसी समय इस तीसरे दौर की वार्ता के बारे
में भी विचार-विमर्श किये गये थे।
वाटिकन समाचार सूत्रों ने आगे बताया कि दोनों
नेताओं ने इस बात की इच्छा व्यक्त की है कि आने वाले दिनों में कैथोलिकों और एंगलिकनों
के बीच अंतरकलीसियाई संबंध और सुदृढ़ होंगे।
उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी
कि 23 नवम्बर को हुई वार्ता में इस बात पर बल दिया गया कि अगले दौर की जो वार्ता होगी
उसमें इस बात पर विचार किया जायेगा कि कलीसिया किस तरह से एक स्थानीय और सार्वभौमिक एकता
का चिह्न है। साथ ही कैसे ये दोनों मिलकर नैतिक सवालों का सही निर्णय कर सकते हैं।
वाटिकन
की विज्ञप्ति के अनुसार आने वाले दिनों में इस पर विचार-विमर्श करने के लिये सदस्यों
को मनोनीत किया जायेगा और जल्द ही तीसरे चरण की वार्ता के बारे में तिथि की घोषणा की
जायेगी।
ज्ञात हो कि दोनों कलीसियों के सदस्यों ने एंगलिकन रोमन कैथोलिक इंटरनैशनल
कमीशन के रूप में सन् 1970 में पहली बार मुलाका़त की थी।
इसके बाद एंगलिकन और
रोमन कैथोलिक एकता और मिशन पर विचार करने के लिये सन् 2001 में मुलाक़ात की।
ज्ञात
हो पहली सभा में इस बात को ध्यान दिया गया कि कैसे ईशशास्त्रीय सवालों को सौहार्दपूर्ण
जवाब खोजा जाये और दूसरी सभा में एकता और एक साथ मिलकर कार्य करने के स्वरूप के बारे
में चर्चायें हुई थीं।
यह भी विदित हो कि विगत् 20 वर्षों में एकता के लिये बनी
आयोग ने संयुक्त रूप से चार घोषणाओं को प्रकाशित किया है।
वे हैं साल्भेश एंड
द चर्च(1987), चर्च एज कम्यूनियन(1991), लाईफ इन क्राइस्ट मोरल कम्यूनियन एंड द चर्च(1994)
और द गिफ़्ट ऑफ ऑथोरिटीः ऑथोरिटी इन द चर्च(1999)। इन घोषणायें दोनों कलीसियाओं की
आधिकारिक घोषणायें नहीं हैं फिर भी दोनों कलीसिया के लोग इसका अध्ययन करते और इसको उचित
महत्त्व देते हैं।