कराँची, 30 नवम्बर, 2009। पाकिस्तान के करांची शहर में ' डोटर्स ऑफ द क्रॉस ' धर्मसमाज
की धर्महनों ने अपना 175 वाँ जुबिली समारोह उस समय स्थगित कर दिया जब उन्हें हिंसा की
धमकियाँ दी जाने लगी। ज्ञात हो कि बेलजियम के 6 मिशनरी सिस्टरों का कराँची पहुँचने
का यह 175वाँ वर्ष है। पवित्र क्रूस की पुत्रियों की धर्मबहनों सन् 1862 ईस्वी में कराँची
में संत जोसेफ नामक अपना पहला कोन्वन्ट खोला था। सिस्टर सुपीरियर प्रवीन दलिदान ने
बताया कि स्कूल में बम छुपाये जाने की आशंका से पूरे स्कूल में दहशत फैल गया था और बच्चों
में भी अफरा-तफरी मच गयी थी। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें एक धमकी भरा पत्र मिला था
जिसमें यह धमकी दी गयी थी कि यदि स्कूल को बन्द नहीं किया गया तो इसे उड़ा दिया जायेगा। ज्ञात
हो कि डोटर्स ऑफ द क्रॉस की धर्मबहनें करांची में 11 कॉन्वेन्ट, 6 स्कूल और तीन हॉस्टेल
चलातीं हैं। सिस्टर इसलिये भी असुरक्षित महसूस कर रहीं हैं क्योंकि पिछले दो महीनों
में आतंकवादी हमलों में 300 लोगों की जानें गयीं हैं। जब से सरकार ने तालिबानियों के
ख़िलाफ अपने अभियान तेज़ किये हैं तालिबान आतंकवादियों ने भी कई हमले किये हैं। तालिबान
बालिकाओं के स्कूलों को अपना निशाना बनाते हैं क्योंकि वे नारी शिक्षा के ख़िलाफ़ हैं।
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम सीमा क्षेत्र में तालिबानियों
ने 230 स्कूलों को उड़ा दिया और 410 को नुकसान पहुँचाया है। 25 नवम्बर को हुए एक सादे
जुबिली समारोह में यूखरिस्तीय समारोह में बोलते हुए महाधर्माध्यक्ष जोन सलधन्हा ने काह
कि क्रूस का हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है। इसका संबंध रोज दिन के दुःख तकलीफों से
है। हम तकलीफ़ों से घबरायें नहीं, क्यों ईश्वर हमारे साथ है। जुबिली समारोह के बारे
बोलते हुए सिस्टर सूर्राया जोसेफ ने कहा कि उनकी आशा थी कि करीव 300 सौ लोग जमा होंगे
पर दहशत के मारे सिर्फ 40 व्यक्ति ही शामिल हुए।