स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें सांस्कृतिक धरोहर को बचायें
कोलकाता, 23 नवम्बर, 2009। मिशनरियों को चाहिये की वे स्थानीय संस्कृति का पूरा सम्मान
करें और आदिवासियों की सांस्कृतिक धरोहर को बचाना उनका प्रथम दायित्व हो। उक्त बातें
गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष थोमस मेनामपरामपिल ने उस समय कहीं जब वे आदिवासी क्षेत्र
में कार्यरत मिशनरियों की कोलकाता में आयोजित सभा में प्रतिनिधियो को संबोधित कर रहे
थे। इस सभा का आयोजन कोलकाता में 17 से 19 नवम्बर तक किया गया था। सभा में मुख्य
अतिथि के रूप में बोलते हुए सलेशियन धर्माध्यक्ष थोमस ने कहा कि आदिवासियों को ईश्वर
की ओर लाने की प्रक्रिया में इस बात का ध्यान दिया जाना परम आवश्यक है कि आदिवासियों
की संस्कृति और परंपरा बरकरार रहे। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि आदिवासियों
को करीब से समझने की आवश्यकता है और उनकी भावनाओं का आदर किया जाना चाहिये। ज्ञात
हो कि महाधर्माध्यक्ष थोमस फेडेरेशन ऑफ एशियन बिशप्स कोनफेरेन्स के सुसमाचार प्रचार के
लिये बनी समिति के अध्यक्ष हैं। उन्होंने वर्षों तक आदिवासियों के विकास के लिये कार्य
किये हैं। उन्होंने आगे कहा कि सुसमाचार प्रचार के किसी भी कार्य के लिये सौहार्दपूर्ण
संबंध बनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा कि वे आदिवासियों का
सम्मान करें। उन्होंने बताया कि आज तक सरकार ने आदिवासियों को वह सम्मान नहीं दिया
है जो उन्हें एक कमजोर वर्ग के रूप में दिया जाना था। यह खे़दपूर्ण है कि सरकार उन्हें
अपराधी और अलगाव वादी भी मानती है। महाधर्माध्यक्ष परामपरामपिल ने कहा कि मिशनरियों
को चाहिये कि वे नये तरीकों की खोज करें ताकि आदिवासी के बीच एकता बढ़े, उनकी परंपरायें
बरकरार रहें और उनका विकास हो सके। ज्ञात हो कि राँची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल
तेलेस्फोर पी. टोप्पो और महाधर्माध्यक्ष थोमस के प्रयासों से पहली बार आदिवासियों के
बीच कार्य करने वाले मिशनरियों का सम्मेलन सन् 1989 ईस्वी में पहली बार सम्पन्न हुआ था।
प्रतिनिधियों ने इस बात की अपनी प्रतिबद्धता दुहरायी कि वे आदिवासियों की सशक्तिकरण
के लिये कार्य करेंगे और उन्हें इस बात के लिये मदद देंगे कि वे सुसमाचार के मूल्यों
के अनुसार जी सकें और उनमें आशा का संचार करेंगे। इस सम्मेलन में असम, अरुणाचल प्रदेश,
झारखंड, छत्तीसगढ़, मनीपूर मेघालय, राजस्थान, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के
प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया