2009-11-23 13:35:17

सांकेतिक भाषा में कोई दिखावा नहीं है – वाटिकन प्रवक्ता


वाटिकन सिटी, 23 नवम्बर, 2009। वाटिकन के प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको लोम्बार्डी ने कहा है कि सुनने में असमर्थ लोगों ने संकेत-भाषा की महत्ता का गहरा आभास कराया है।

फादर फेदेरिको ने उक्त बातें उस समय कहीं जब वे वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम ' ऑक्तावा दियेस ' में पिछले सप्ताह वाटिकन में आयोजित बहरे व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ' एफ्फाता ' पर अपने विचार दे रहे थे। ' एफ्फाता ' नामक इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की विषय वस्तु थी कलीसियाई जीवन में बधिरों का स्थान '।

इस सम्मेलन में बधिरों के अलावा कई धर्मसमाजी पुरोहित, धर्मबहनें और उनकी सेवा करने वालों ने हिस्सा लिया। बधिरों की कुल संख्या 90 थी।

फादर लोमबार्डी ने कहा कि बहरों के साथ बात करने के लिये सांकेतिक भाषा का प्रयोग करना पड़ता है और इसके लिये धैर्य की आवश्यकता पड़ती है। यह कठिन है पर इसमें कोई दिखावा नहीं है।

बधिरों के साथ बातचीत करने में न ही कोई हड़बड़ी है और न ही कोई कृत्रिमता है। ज्ञात हो कि बधिरों के लिये सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य सेवा के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति ने किया था। पूरे विश्व में करीब एक करोड़ तीन लाख व्यक्ति बधिर हैं।

फादर लोमबार्डी ने आगे कहा कि बधिरों के साथ जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है वह प्रेम और ईमानदारी की भाषा है।

संत पापा के प्रवक्ता ने कहा कि बधिरों के सम्मेलन पर मीडिया ने भी अपेक्षाकृत कम ही ध्यान दिया है। पर इसका अर्थ यह नहीं है कि बधिरों की समस्या हम नगण्य समझें।

उन्होंने बधिरों को यह आश्वासन दिया कि वे उनके लिये प्रार्थनायें करेंगे।

वाटिकन प्रवक्ता फादर लोमबार्डी ने लोगों को यह भी कहा कि अंतिम दिन में ईश्वर हमसे पूछेंगे कि हमने बहरों के लिये क्या किया। वे कहेंगे मैं बहरा था और तुमने मुझसे वार्तालाप करने के लिये क्या किये।








All the contents on this site are copyrighted ©.