देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 22 नवम्बर को संत पेत्रुस महामंदिर के
प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश
प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते
हुए कहाः अतिप्रिय भाईयो और बहनो, हम पूजन धर्मविधि वर्ष के पंचांग के अंतिम रविवार
को राजा ख्रीस्त का समारोह मना रहे हैं। इस पर्व का निर्धारण अपेक्षाकृत हाल ही में
हुआ है लेकिन इस पर्व को मनाये जाने की बाइबिल और ईशशास्त्र सम्मत गहरी जड़े हैं। येसु
के संदर्भ में राजा की उपाधि सुसमाचार में बहुत महत्वपूर्ण है तथा हमें उनकी छवि और
उनके मुक्ति के मिशन को पूरी तरह समझने के लिए अनुमति प्रदान करती है। इस संदर्भ में
हम सतत प्रगति को देख सकते हैं। प्रथम यह अभिव्यक्ति है कि वे इस्राएल के राजा हैं और
फिर हम उन्हें सार्वभौमिक राजा तथा ब्रह्मांड तथा इतिहास के राजा कहने तक पहुँचते हैं
इसलिए यहूदियों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक तक जाते हैं। येसु ख्रीस्त की इस अभिव्यक्ति
के केन्द्र में उनकी मृत्यु और पुनरूत्थान का भी रहस्य है। जब येसु क्रूस पर थे तब शास्त्रियों
ने कहा यह इस्राएल का राजा है अभी क्रूस से उतर आये और फिर हम इसपर विश्वास करेंगे। इस
सच्चाई के प्रकटीकरण में कि वे वास्तव में ईश्वर के पुत्र हैं येसु ने स्वतंत्रतापूर्वक
अपने दुखभोग को स्वीकार किया। क्रूस उनकी उपस्थिति का विरोधाभासी चिह्व है जो बुराई से
उत्पन्न आज्ञा नहीं मानने के ऊपर ईश्वर के प्रेम की इच्छा को प्रकट करता है। येसु अपने
बलिदान द्वारा सम्पूर्ण विश्व के राजा बन गये, उन्होंने अपने पुनरूत्थान के बाद शिष्यों
से कहा कि मुझे स्वर्ग में और पृथ्वी पर पूरा अधिकार मिला है। लेकिन येसु की वास्तविक
शक्ति क्या हैः यह इस संसार के महान राजाओं के समान नहीं है, यह तो दिव्य शक्ति है जो
हमें बुराई से आजाद कर अनन्त जीवन देती है, मृत्यु के प्रभुत्व को हरा देती है। यह प्रेम
की शक्ति है जो यह जानती है कि कैसे बुराई से भी भलाई निकाली जा सकती है। कठोर ह्दय को
कोमल बना देती है भीष्ण संघर्ष को समाप्त कर शांति लाती है, घोर अंधेरे में भी आशा का
संचार करती है। कृपा का यह राज्य बलात कोई थोपती लेकिन हमारी स्वतंत्रता का सम्मान करती
है। येसु ख्रीस्त इस सच्चाई की साक्षी देने के लिए आये। जैसा कि उन्होंने पिलातुस के
सामने कहा। संत इग्नासियुस लोयोला को जो छवि प्रिय थी उसके अनुसार जो कोई येसु के साक्ष्य
को ग्रहण करता है वह उनके झंडे के नीचे आता है।
प्रत्येक अंतःकरण के लिए
यह जरूरी चयन करना बन जाता है मैं किसका अनुसरण करना चाहता हूँ - ईश्वर या शैतान का,
सत्य या झूठ का। ख्रीस्त को चुनना सफलता की वह गारंटी नहीं देता है जो इस दुनिया के
मापदंड के अनुसार है लेकिन यह उस शांति और आनन्द का आश्वासन देता है जिसे केवल वे ही
दे सकते हैं। यह हर युग में असंख्य स्त्री और पुरूषों के अनुभवों के द्वारा प्रदर्शित
किया गया है जिन्होंने ख्रीस्त के नाम में, सत्य और न्याय के नाम पर दुनियावी ताकतों
के प्रलोभनों का विभिन्न प्रकार से सामना किया है, अपनी निष्ठा प्रदर्शित करने के लिए
शहीद भी हो गये। अतिप्रिय भाईयो और बहनो, जब स्वर्गदूत गाब्रिएल ने मरिया को यह संदेश
दिया उन्होंने पूर्व घोषणा किया कि उनका पुत्र दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होंगे और
सदा के लिए राज्य करेंगे। दुनिया को इसे देने से पहले पवित्र कुँवारी ने इस पर विश्वास
किया। हम कुँवारी माता मरियम से प्रार्थना करें कि हमारी सहायता करें ताकि हम हमारे
राजा, येसु ख्रीस्त का अनुसरण कर सकें जैसा कि उन्होंने किया तथा अपने सम्पूर्ण अस्तित्व
के द्वारा उनका साक्ष्य दे सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश
प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।