वाटिकन के एक अधिकारी का कहना है कि सुसमाचार प्रचार करने के लिए आज मिशनरियों को नयी
भूमि खोजने की जरूरत नहीं है क्योंकि मुख्य मिशन मानव प्राणी ही है। सुसमाचार प्रसार
संबंधी परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के सचिव महाधर्माध्यक्ष रोबर्ट साराह ने विभाग की पूर्णकालिक
सभा के बारे में विचार व्यक्त करते समय वाटिकन रेडियो में उक्त बात की पुष्टि की। उन्होंने
कहा कि आज सुसमाचार प्रचार करने का क्षेत्र सब जगह है। युवा कलीसियाओं तथा युवाओं को
आज प्रभु येसु की पुर्नखोज करने की जरूरत है। आज यह क्षेत्रों का सवाल नहीं है लेकिन
इंसान जिसे हमें पुनः ईश्वर के पास ले चलना है। स्त्री और पुरूष ईश्वर के बिना जीवन जी
रहे हैं या ईश्वर के बिना जीवन जीना चाहते हैं। 64 वर्षीय महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि मानव
को ईश्वर की जरूरत है क्योंकि हम ईश्वर के बिना जीवन नहीं जी सकते हैं। इसलिए आज ऐसे
क्षेत्र हैं जहाँ सुसमाचार पहुँचाना है लेकिन उनका विश्वास है कि आज सबसे महत्वपूर्ण
स्थान मानव का दिल है। महाधर्माध्यक्ष सराह ने कहा कि धर्मपीठीय धर्मसंघ संत पौलुस को
अपनी पूर्णकालिक सभा के दौरान संत पौलुस को आदर्श के रूप में देखा। उन्होने कहा कि पहली
बात जिस पर वे बल देना चाहते हैं वह है- पुरोहित जो प्रेम में येसु के साथ मित्र है वह
अन्यों को भी इस प्रेम को देने में सक्षम है। इसलिए यदि वह इस पर दृढ़मत नहीं होगा तो
वह मिशनरी नहीं हो सकता है। इसका अर्थ है कि ख्रीस्त को जानने के लिए पुरोहित सबकुछ करे
और यह प्रमुख सिद्धान्त है क्योंकि संत योहन अपने प्रथम पत्र में कहते हैं कि हमने जो
देखा है और अपने हाथों से जिसका स्पर्श किया है हम उसकी उदघोषणा करते हैं। महाधर्माध्यक्ष
साराह ने कहा कि जो व्यक्ति दूसरों के साथ सुसमाचार को बाँटना चाहता है उसके लिए ख्रीस्त
का निजी अनुभव होना जरूरी है।