बारुईपूर, कोलकाता 16 नवम्बर, 2009। बारुईपूर के धर्माध्यक्ष साल्भाडोर लोबो ने कहा
कि बरुईपूर का नया महागरिजाघर अंतरधार्मिक वार्ता और सद्भाव का एक प्रतीक बन गया है।
धर्माध्यक्ष लोबो ने उक्त बाते उस समय कहीं जब 12 नवम्बर गुरुवार को बरईपूर के
महागिरजाघर को लोगों के लिये खोल दिया गया।
उन्होंने उन हिंदुओं मुसलमानों और
अन्य ख्रीस्तीयों को धन्यवाद दिया जिन्होंने निःस्वार्थ भाव से कलीसिया को जिन्होंने
महागरिजाघर के निर्माण के लिये योगदान दिया।
महागिरजाघर के उद्घाटन के लिये
धन्य मदर तेरेसा के धर्मसमाज मिशनरीस ऑफ चरिटी की परमाधिकारिणी सिस्टर मेरी प्रेमा ने
इसका उद्घाटन किया।
कोलकाता से 40 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित यह गिरिजाघर लोगों
के ध्यान का केन्द्र बना हुआ है। धन्य मदर तेरेसा को इस महागिरजाघर का संरक्षक घोषित
किया गया है। इस महागिरजाघर की आशिष महाधर्माध्यक्ष लुकस सिरकर ने की।
एक मुसलिम
मुहम्मद इनुल खान ने उकान को बताया कि उन्होंने इस महागिरजा के निर्माण के लिये अपना
योगदान दिया ताकि लोगों में एकता बढ़े।
रंजीत घोष एक हिंदुने कहा कि उन्होंने
भी अपने योगदान दिये ताकि लोग जान सकें कि विभिन्न धर्मावलंबी एकता के एकसूत्र में बँधकर
जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
ज्ञात हो कि इस महागिरजाघर के निर्माण में दस करोड़
खर्च किये गये। इसमें जो 24 पेंटिग्स और 32 काँट पर पेंटिग वनी है उसे स्थानीय कलाकारों
ने बनाया है। ज्ञात हो कि बरुऊपूर धर्मप्रांत का निर्माण सन् 1994 ईस्वी में हुआ था और
इसमें 8 पारिश हैं।