2009-11-16 15:06:16

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 15 नवम्बर को संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए कहाः
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
हम पूजन धर्मविधि वर्ष के समाप्त होने के अंतिम दो सप्ताह के समीप पहुँच चुके हैं। हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने फिर से विश्वास की यात्रा जो पुरानी और सदैव नवीन है, कलीसया रूपी बड़े आध्यात्मिक परिवार में इसे जारी रखने के लिए हमें सक्षम बनाया है। यह एक अवर्णनीय उपहार है जो हमें मानव इतिहास में ख्रीस्त के रहस्य में जीवन जीने की अनुमति प्रदान करता है। हमारे निजी और सामुदायिक अस्तित्व के बीच ईशवचन रूपी बीज को प्राप्त करते हैं, अनन्तकाल का बीज, जो इस संसार को अंदर से पूरी तरह बदल देता है और इसे स्वर्गीय राज्य के लिए खोल देता है। रविवार के लिए निर्धारित बाइबिल पाठ की हमारी यात्रा में हमारे साथ संत मारकुस रचित सुसमाचारपाठ है जो आज हमारे सामने अंतिम समय के बारे में येसु के प्रवचन के एक भाग को प्रस्तुत करता है। इस प्रवचन में, एक पद्यांश है जो अपनी सांश्लेषिणिक स्पष्टता के लिए हमारा ध्यान आकर्षित करता है स्वर्ग और पृथ्वी टल जायें लेकिन मेरे शब्द अटल हैं। येसु की इस भविष्यवाणी पर एक पल के लिए आइये हम चिंतन करें। यह अभिव्यक्ति स्वर्ग और पृथ्वी इसका बाइबिल में बारम्बार प्रयोग हुआ है जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड, सम्पूर्ण विश्वमंडल की ओर इंगित करता है। येसु कहते हैं कि सबकुछ समाप्त हो जायेगा यह निश्चित है, न केवल पृथ्वी लेकिन स्वर्ग भी। वास्तव में इसे ब्रह्मांड के अर्थ में समझा गया न कि ईश्वर के पर्यायवाची रूप में। पवित्र धर्मग्रंथ में किसी प्रकार का संशय़ नहीं है। सम्पूर्ण सृष्टि की सीमांतता है यहाँ तक कि वे तत्व जिन्हें प्राचीन मिथकों द्वारा दिव्यता प्रदान की गयी। सृष्टिकर्ता और सृष्टि के बीच कोई भ्रम नहीं है लेकिन स्पष्ट भिन्नता है। इस प्रकार की स्पष्ट भिन्नता द्वारा येसु इस बात की पुष्टि करते हैं कि उनके शब्द पूरे हुए बिना नहीं रहेंगे अर्थात वे ईश्वर की ओर से आते हैं इसलिए अनन्त हैं।
तथापि अपने पार्थिव अस्तित्व की ठोस स्थिति में उच्चारित ये शब्द, अद्वितीय नबूवती शब्द हैं जैसा कि अन्य स्थल में येसु स्वर्गिक पिता को सम्बोधित करते समय इसकी पुष्टि करते हैं। तूने जो संदेश मुझे दिया मैंने वह संदेश उन्हें दे दिया। वे उसे ग्रहण कर यह जान गये कि मैं तेरे यहाँ से आया हूँ और उन्होंने यह विश्वास किया कि तूने मुझे भेजा। एक विख्यात दृष्टान्त में ख्रीस्त अपनी तुलना बीज बोनेवाले से करते हैं और बताते हैं कि बीज वचन है। जो लोग इसे सुनते ग्रहण करते और फल उत्पन्न करते हैं वे ईश्वर के राज्य के भाग हैं अर्थात वे उनके राज्याधिकार के अंदर जीवन जीते हैं। वे इस संसार में हैं लेकिन इस संसार के नहीं है क्योंकि उन्में अनन्त होने का बीज है, पूर्ण परिवर्तन होने का सिद्धान्त जो अभी ही भले जीवन में प्रदर्शित किया गया है, उदारता से अनुप्राणित है तथा जो अंत में शरीर के फिर से जी उठने को उत्पन्न करेगा। ख्रीस्त के वचन की शक्ति को देखें।
प्रिय मित्रो, इस सत्य की जीवित चिन्ह कुँवारी माता मरियम हैं। उनका ह्दय अच्छी भूमि थी जिसने पूरी तरह से ईश्वर के वचन को ग्रहण किया ताकि उनका सम्पूर्ण अस्तित्व पूत्र की छवि के अनुरूप पूर्ण परिवर्तित हो गया। अनन्तता का परिचय मिला, आत्मा और शरीर, प्रत्येक मानव प्राणी की अनन्त बुलाहट को आगे लाना। अभी प्रार्थना में, स्वर्गदूत को दिये गये उनके जवाब को हम अपना जवाब बनायें . आपके कथन अनुसार मुझमें पूरा हो ताकि क्रूस के मार्ग में येसु का अनुसरण करते हुए हम भी पुनरूत्थान की महिमा में भाग ले सकें।


इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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