2009-11-13 15:32:00

सुसमाचार प्रसार में इंटरनेट का कितना उपयोग


वाटिकन में इस बात पर विचार किया जा रहा है कि कलीसिया येसु ख्रीस्त तथा उनके संदेश सुसमाचार का प्रसार करने के लिए इंटरनेट और अन्य संचार तकनीकि सुविधाओं का कितना अधिक उपयोग कर रही है। इश कार्य़ के लिए विकीपीडिया, फेसबुक और यूटयूब जैसी अनेक इंटरनेट साइटस और सुविधाओं का उपयोग किस प्रकार किया जा कहा है। 4 दिवसीय सम्मेलन के प्रतिभागियों के सामने कार्डिनल तारचिसियो बरतोने ने अपने संदेश में इस बात की पुष्टि की कि संत पापा चाहते हैं कि इस नयी संस्कृति का विश्लेषण किया जाये और कलीसिया के मिशन में इसके प्रभाव के बारे में अध्ययन किया जाये। जिस तरह प्रथम सदी में ईसाईयों ने यूनानी और रोमन साम्राज्य में गैरईसाई संस्कृति को समझने का प्रयास किया ताकि श्रोताओं के मन और दिल को सुसमाचार का सत्य स्पर्श करे। इसी तरह येसु ख्रीस्त की उदघोषणा करने के लिए आज के शिक्षकों और सुसमाचार प्रचारकों में नई तकनीकि संस्कृति का गहरा ज्ञान होना जरूरी है। इस सम्मेलन का आयोजन सीसीईई अर्थात यूरोपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों की समिति के मीडीया आयोग ने किया है। इस समिति के उपाध्यक्ष क्रोएशिया में जागरेब के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जोसिफ बोजनिक ने कहा कि इंटरनेट न केवल विभिन्न संस्कृतियों से ग्रहण करनेवाला है लेकिन इंटरनेट संस्कृति है। कलीसिया के सुसमाचार प्रसार के मिशन में इंटरनेट की उपस्थिति का क्या अर्थ है, संस्कृतियों के सुसमाचारीकरण और विश्वास के सांस्कृतिकरण में इसका क्या असर है, धर्मप्रांतों और पल्लियों में लोगों को दैनिक स्तर पर मेषपालीय सहायता पहुँचाने में क्या इंटरनेट का उपयोग हो रहा है। इन सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि कलीसिया में अनेक लोग हैं जो इंटरनेट को साधन के रूप में देखते हैं यह स्थिति 3 या 4 साल पहले की थी आज देखते हैं कि इंटनरेट अपने आप में ही एक दुनिया है जिसे कुछ लंग सातवाँ महाद्वीप कहते हैं। बहुसंख्य लोग विशेष रूप से युवा, वेब पीढी जो इंटरनेट के साथ बढ़ी है यह वर्चुअल प्लेस , नई मीडिया की दुनिया मुख्य स्थल बन गयी है जहाँ मानवीय, नैतिक और प्रशिक्षणात्मक प्रशिक्षण सम्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट अपने आप में अच्छा या खराब नहीं है लेकिन यह पही बनता है जो मानव बनाना चाहता है। इस संदर्भ में इंटरनेट में कलीसिया की उपस्थिति अवसर से कहीं अधिक जरूरत बन जाती है और इस उपस्थिति के बिना वह सैकडों युवाओं के साथ संवाद करने में सफल नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि वेबसाइटस द्वारा समृद्ध ख्रीस्तीय विरासत को किस स्तर तक व्यक्त किया जा सका है और प्रभु येसु के सुसमाचार का सफलतापूर्वक प्रसार किया जा सके इस पर विचार किया जाना चाहिए।








All the contents on this site are copyrighted ©.