कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति नुरसुल्तान नज़ारबायेव की संत पापा से भेंट
वाटिकन सिटी, 7 नवम्बर, 2009। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि कजाकिस्तान एक
ऐसा राष्ट्र है जहाँ विभिन्न धर्मावलंबी शांतिपूर्ण सहअस्तित्व पर विश्वास करते हैं।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उनसे कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति नुरसुल्तान
नज़ारबायेव ने 6 नवम्बर, गुरुवार को वाटिकन में उनसे मुलाक़ात की। संत पापा से बातचीत
का मुद्दा तीन बातों में केन्द्रित था विश्व आर्थिक मंदी अन्तरधार्मिक वार्त्ता और शांति।
ज्ञात
हो कि यूरोपीय शांति और सहयोग के लिये बने संगठन के लिये कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति को
अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया है।
संत पापा और राष्ट्रपति ने इस बात के लिये
अपनी संतुष्टि व्यक्त की है कि वाटिकन और मध्य एशिया राष्ट्रों के बीच के संबंध अब तक
सौहार्दपूर्ण रहे हैं।
संत पापा ने इस बात की चर्चा की कज़ाकिस्तान में विभिन्न
धर्मों के लोग एक साथ मिलकर शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।
उन्होंने अपनी
आशा व्यक्त की है कि कज़ाकिस्तान के लोग सदा ही देश को मजबूत करने के लिये सक्रिय रहेंगे
और सार्वजनिक हित के लिये कार्य करते रहेंगे।
ज्ञात हो कि संत पापा के साथ कजाकिस्तान
के राष्ट्रपति की मुलाकात के समय वाटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल बेरतोने और अन्तरराष्ट्रीय
संबंधों के सचिव महाधर्माध्यक्ष दोमिनिके मेम्बेरती भी उपस्थित थे।
यह भी विदित
हो कि कजाकिस्तान में एक करोड़ पचास लाख लोग निवास करते हैं जिनमें 50 प्रतिशत लोग शिया
मुसलमान हैं और 40 प्रतिशत लोग अर्थात करीब 2ल लाख पचास हज़ार लोग ऑर्थोडोक्स ईसाई हैं।
ज़ेनित समाचार सूत्रों ने बताया कि सोवियत यूनियन के नेता जोसेफ स्टालिन ने बीसवी
सदी में ईसाई धर्म को बढ़ावा दिया जब उन्होंने ईसाई पुरोहितों एशिया के विभिन्न देशों
' कोनसेन्ट्रेशन कैपों ' में निर्वासित किया।
इस समय कई पुरोहित कजाकिस्तान
भी भेजे गये। स्तालिन की मृत्यु के बाद वे वहीं काम करने का निर्णय किया और इस प्रकार
चर्च का विस्तार संभव हो पाया।
जब सोवियत यूनियन बिखर गया तब संत पापा जोन पौल
द्वितीय ने सन् 1994 कज़ाकिस्तान के साथ अपने नये राजनयिक संबंध स्थापित किये। उन्होंने
सितंबर 2001 में कज़ाकिस्तान की प्रेरितिक यात्रा भी की थी।