2009-10-28 12:33:37

न्यूयॉर्कः वाटिकन ने धार्मिक असहिष्णुता के कारणों से अवगत कराया


वाटिकन ने कहा है यथार्थ धार्मिक स्वतंत्रता से पहले सहिष्णुता तथा अन्य धर्मों एवं संस्कृतियों के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करने हेतु मनपरिवर्तन का होना आवश्यक है।


संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तीनो मिलियोरे ने, सोमवार को, धार्मिक स्वतंत्रता विषय पर, संयुक्त राष्ट्र संघीय महासभा के 64 वें सत्र को सम्बोधित किया।
महाधर्माध्यक्ष ने यह स्वीकार किया कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव अधिकारों, बुनियादी स्वतन्त्रताओं और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने तथा उनकी रक्षा के क्षेत्र में काम किया है। इसके अतिरिक्त विश्व से हर प्रकार की धार्मिक असहिष्णुता के उन्मूलन का भी प्रयास किया है। तथापि, उन्होंने कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को प्रोत्साहन देने के बावजूद धार्मिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यापक उल्लंघन हो रहा है।"
उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश इस ग्रह पर ऐसा कोई धर्म नहीं है जो भेदभाव से मुक्त हो। असहिष्णुता के कृत्य और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कई प्रकारों एवं रूपों में पाया जा सकता है।"
महाधर्माध्यक्ष मिलियोरे ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया, "विगत कुछ महीनों में एशियाई और मध्य पूर्वी देशों के ईसाई समुदायों पर हमले हुए जिनमें कई लोग मारे गये तथा अनेक घायल हो गये। उग्रवादियों की हिंसक कार्रवाईयों में ख्रीस्तीयों के गिरजाघरों और घरों को जला दिया गया। इन हिंसक कृत्यों के लिये ईश निन्दा कानून की आड़ ली गई जिसका कुछ देशों में भरपूर दुरुपयोग हो रहा है।"
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि ईश निन्दा कानून, उग्रवादियों के लिए, अन्य धर्मावलम्बियों पर अत्याचार करने के आसान अवसर बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कानूनों का दुरुपयोग अन्याय को बढ़ावा देने तथा सांप्रदायिक हिंसा और धर्मों के बीच हिंसा फैलाने के लिये किया जा रहा है।
सरकारों का उन्होंने आह्वान किया कि वे धार्मिक असहिष्णुता के मूल कारणों का पता लगायें तथा उनके उन्मूलन का प्रयास करें। साथ ही उन कानूनों को रद्द करें जो दुरुपयोग के उपकरण बन सकते हैं।
विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच सम्मान एवं मैत्री को प्रोत्साहन देने के लिये महाधर्माध्यक्ष ने मानवीय मूल्यों की शिक्षा पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आरम्भ ही से बच्चों में प्रेम, सहिष्णुता एवं धार्मिक विविधता के सम्मान को प्रोत्साहित करना अनिवार्य है।








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