वाटिकन सिटीः बाईबिल व्याख्या के लिये विश्वास ज़रूरी, बेनेडिक्ट 16 वें
वाटिकन में, सोमवार को, सन्त पियुस को समर्पित परमधर्मपीठीय बाईबिल संस्थान के प्राध्यापकों
एवं छात्रों को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि यद्यपि बाईबिल
पाठों की व्याख्या के लिये ऐतिहासिक एवं आलोचनात्मक व्याख्या तर्कयुक्त एवं आवश्यक है
तथापि यह नहीं भुलाया जाना चाहिये कि कलीसियाई विश्वास धर्मग्रन्थों की व्याख्या की कुँजी
है।
सन्त पियुस को समर्पित परमधर्मपीठीय बाईबिल संस्थान इस समय शतवर्ष मना
रहा है इसी के उपलक्ष्य में संस्थान के प्राध्यापकों एवं छात्रों ने सन्त पापा का साक्षात्कार
किया।
सन्त पापा ने कहा, "यदि धर्मग्रन्थ भाष्य को ईश शास्त्र होना है तो उसे
यह स्वीकार करना होगा कि कलीसिया का विश्वास सहानुभूति का वह रूप है जिसके बिना बाईबिल
एक बन्द किताब मात्र रह जायेगी।
सन्त पापा ने कहा कि बाईबिल के पाठों को उनकी
ऐतिहासिक पृष्टभूमि में समझना तथा उस युग की दृष्टि से उसकी व्याख्या करना ज़रूरी है
किन्तु पर्याप्त नहीं क्योंकि व्यक्ति बाईबिल के पाठों का मर्म केवल विश्वास द्वारा बुद्धिगम्य
कर सकता है। उन्होंने कहा कि बाईबिल के प्रत्येक पाठ को उसके समुचित अर्थ में समझा जाना
चाहिये और यह कार्य कलीसिया करती है। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि कलीसिया को लिखित
एवं प्रसारित ईश वचन की यथार्थ व्याख्या का काम सौंपा गया है जिसे वह येसु ख्रीस्त के
नाम पर करती है।