देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 25 अक्टूबर को संत पेत्रुस महामंदिर के
प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यट्कों के साथ देवदूत संदेश
प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते
हुए कहाः
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
अभी थोड़ी देर पहले, संत पेत्रुस महामंदिर
में सम्पन्न समारोही ख्रीस्तयाग समारोह के साथ ही अफ्रीकी धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की दूसरी
आमसभा का समापन हुआ। आज कलीसिया जो अफ्रीका महाद्वीप में है और सार्वभौमिक कलीसिया को
भी पवित्र आत्मा क्या कह रहे हैं इस पर चिंतन करने के लिए तीन सप्ताह प्रार्थना और ध्यान
पूर्वक एक दूसरे को सुनने में व्यतीत हुए। धर्मसभा के आचार्यों ने जो अफ्रीका के सब देशों
से आये हैं उन्होंने स्थानीय कलीसियों की समृद्ध वास्तविकता को प्रस्तुत किया है। गुणवत्ता
और संख्या में बढ रहे ख्रीस्तीय समुदाय की उनकी खुशी में हम सहभागी हुए हैं। हम ईश्वर
के प्रति कृतज्ञ हैं उस मिशनरी योजना के लिए जिसने असंख्य धर्मप्रांतों में उर्वर भूमि
पायी है तथा जो अफ्रीकी देशों और विभिन्न महाद्वीपों में मिशनरियों को भेजने में अभिव्यक्त
हुआ है। परिवार को विशेष महत्व दिया गया है, अफ्रीका में भी यह समाज की प्राथमिक ईकाई
है लेकिन आज यह विदेशी विचारधाराओं के कारण खतरे का सामना कर रही है। इस प्रकार की अभिव्यक्तियों
के दबाव को देख रहे युवाजन से क्या कहा जाये। वे उस प्रकार के विचारों और व्यवहारों के
नमूने से प्रभावित हैं जो अफ्रीका की जनता तथा मानवीय और ख्रीस्तीय मूल्यों के विपरीत
हैं। स्वाभाविक रूप से अफ्रीका की वर्तमान समस्याओं पर सभा में चर्चा हुई तथा मेलमिलाप,
न्याय और शांति की बड़ी जरूरत पर विचार किया गया। इसी कारण से कलीसिया अपना प्रत्युत्तर
देते हुए नवीकृत संवेग के साथ सुसमाचार की उदघोषणा करने तथा मानव हित के प्रसार करने
वाले कार्यों को करने का पुःन प्रस्ताव करती है। ईशवचन और यूखरिस्त से अनुप्राणित होकर
वह प्रयास करती है कि कोई भी व्यक्ति जीवन की बुनियादी जरूरतों के पूरा होने से वंचित
न रहे तथा सब लोग मानव प्रतिष्ठा के सुसंगत जीवन जीएँ।
विगत मार्च माह में सम्पन्न
कैमरून और अंगोला की प्रेरितिक यात्रा का स्मरण करते हुए तथा जिसका उद्देश्य अफ्रीका
की दूसरी धर्मसभा की तैयारी को बढ़ावा देना था आज मैं अफ्रीका के सब लोगों की ओर उन्मुख
होकर कहना चाहता हूँ, विशेष कर उनसे जो ईसाई विश्वास को मानते हैं उन्हें धर्माध्यक्षीय
धर्मसभा के अंतिम संदेश की भावना में सम्बोधित करता हूँ। यह संदेश है जो रोम से संत पेत्रुस
के उत्तराधिकारी, जो सार्वभौमिक सामुदायिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं उनकी ओर से आता
है, लेकिन एक व्यक्ति कह सकता है इस भाव में जो सच से कम नहीं है कि इसकी उत्पत्ति अफ्रीका
में हुई है जिसके अनुभवों, अपेक्षाओं, योजनाओं को यह जमा कर पवित्र आत्मा में गहन सामुदायि्कता
वाली घटना की समृद्धि के साथ अब अफ्रीका लौट रहा है।
प्रिय भाईयो और बहनो, जो
मुझे अफ्रीका से सुन रहे हैं, धर्मसभा के धर्माचार्यों के कार्यों के फल को विशेष रूप
में आपकी प्रार्थना के सिपुर्द कर रहा हूँ तथा आपको प्रभु येसु के शब्दों से प्रोत्साहित
कर रहा हूँ कि प्रिय अफ्रीकी भूमि में नमक और ज्योति बनें। जैसा कि इस धर्मसभा का समापन
हो रहा है मैं अब यह स्मरण करना चाहता हूँ कि अगले वर्ष मध्य पूर्व के धर्माध्यक्षों
की विशेष धर्मसभा आयोजित की जाएगी। साइप्रस के दौरे के अवसर पर मुझे इस धर्मसभा की तैयारी
हेतु निर्देशिका सौंपने की खुशी होगी। मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ जो अपनी कलीसिया
को सामुदायिक रूप से बनाना जारी रखते हैं और मैं विश्वासपूर्वक कुँवारी माता मरिया की
ममतामयी मध्यस्थता की कामना करता हूँ।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत
संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।