मुसलमानों के साथ वार्त्ता और धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में विचार-विमर्श
वाटिकन सिटी, 24 अक्तूबर, 2009। रोम में आयोजित अफ्रीकी धर्माध्यक्षों की द्वितीय महासभा
में धर्माध्यक्षों मुसलमानों के साथ वार्त्ता और धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में विचार-विमर्श
किये।
सभा में बोलते हुए फ्रांसीसी भाषा के प्रवक्ता मोनसिनयोर जोसेफ बातोरा
बालोन्ग वेन मेउदा ने कहा कि मुसलमानों के साथ कार्य करने तरीकों में विभिन्नतायें हो
सकतीं हैं पर अफ्रीकी धर्माध्यक्ष अंतरधार्मिक वार्त्ता के लिये कार्य करने के लिये तैयार
हैं।
उन्होंने इस बात की जानकारी दी है कि उत्तरी अफ्रीकी देशों में इस्लाम-ईसाई
संबंध यूरोप, अफ्रीका और अरब देशों से भिन्न होंगे क्योंकि अरब देशों के 3 करोड़ 50 लाख
अर्थात 80 प्रतिशत मुसलमान उत्तरी अफ्रीका में निवास करते हैं।
इस अवसर पर उपस्थित
अंतरधार्मिक वार्त्ता के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जाँन लुईस
तौरान ने कहा कि इस्लाम का विश्व में फैलने के तीन कारण हैं - भ्रातृभाव, कुरान स्कूल
और मसज़िद।
कई धर्माध्यक्षों ने इस बात को स्वीकार किया कि मुसलमानों के विस्तार
के धार्मिक खतरा कम, राजनीतिक खतरा ज़्यादा है।
सांतियागो दे काबो भेर्दे के
धर्माध्यक्ष अरलिन्दो गोम्स फुरतादो ने इस बात के लिये चिन्ता व्यक्त की है इसलाम धर्मावलंबी
धर्म के प्रचार के लिये काथलिक देशों को अपना निशाना बना रहे हैं।
सभा के समापन
पर प्रतिनिधियों ने इस बात पर बल दिया कि वार्त्ता में इस बात पर विशेष बल दिया जाना
चाहिये कि लोगों को अंतःकरण और पूजा करने की स्वतंत्रता हो।