अफ्रीका महादेश अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में बहुत योगदान दे सकता है
होली सी संयुक्त राष्ट्र संघ से अफ्रीका महादेश को सहायता उपलब्ध कराने की अपील कर रहा
है जो निर्धन है तथापि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में बहुत योगदान दे सकता है। संयुक्त राष्ट्र
संघ में वाटिकन के स्थायी प्रय़वेक्षक महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तीनो मिल्योरे ने संयुक्त
राष्ट्र संघ की सामान्य सभा के 64 वे सत्र में लोगों को सम्बोधित करते समय अफ्रीका की
सम्पूर्ण स्थिति पर विचार व्यक्त करते हुए जोर दिया कि कुछेक पूर्वाग्रह हैं जिन्हें
हमेशा के लिए समाप्त कर दिया जाना चाहिए। महाधर्माध्यक्ष मिल्योरे ने कहा कि बहुधा जब
अफ्रीका के बारे में कहा जाता है तो मीडिया और अकादमिक या राजनैतिक स्तर पर अतिनिर्धनता,
सैन्य विद्रोह, भ्रष्टाचार और क्षेत्रीय संघर्ष के बारे में ही कहा कहता है। इसके साथ
ही जब अफ्रीका के बारे में सकारात्मक बात तही जाती है तो इसके भविष्य के बारे में कहा
जाता है मानो वर्तमान समय में अर्पित करने के लिए इसके पास कुछ नहीं है। जबकि वास्तविकता
है कि अफ्रीका अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने वैसे उदाहरण और मूल्यों को उपलब्ध कराता
रहा है जो प्रशंसनीय हैं। अफ्रीका के अनेक देशों ने आजादी पाने और संघर्ष के बाद पुर्ननिमार्ण
की प्रक्रिया का प्रबंध करने में महान क्षमता का प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही संयुक्त
राष्ट्रसंघ और इसकी विभिन्न एजेंसियों में कार्य़रत अनेक अधिकारयों के द्वारा अफ्रीका
ने विश्व के सामने बहुपक्षीय विभाग का प्रबंध करने में इसके लोगों की दक्षताओं और क्षमताओं
को दिखाया है। विकसित देशों में वैज्ञानिक, अकादमिक और बौद्धिक जीवन में अफ्रीका के पुत्र
पुत्रियों के बढ़ते योगदान पर भी विचार किया जाना चाहिए। महाधर्माध्यक्ष मिल्योरे ने
कहा कि यद्यपि सर्वाधिक निर्धनता की स्थिति में जीवनयापन कर रहे अधिकांश लोग अफ्रीका
में ही हैं तथापि गरीबी और क्षुधा निवारण के लिए सन् 2015 तक के लिए निर्धारित किये गये
लक्ष्य को प्राप्त करना अनेक अफ्रीकी देशों के लिए संभव नहीं हो पायेगा इसलिए वे वास्तव
में सहदयता प्रदर्शित करने का आह्वान करते हैं जो गरीबी का समूल उन्मूलन करने में सहायता
करे तथा अन्य देशों के लिए अफ्रीका की यथार्थ क्षमता को उपलभ्य बनाये। वर्तमान संकट के
समय धनी देश अफ्रीका को दी जानेवाली विकास सहायता में कटौती नहीं करें लेकिन इसके विपरीत
अर्थव्यवस्था के दूरगामी दर्शन की ओर आगे बढ़े तथा विश्व उन निर्धन देशों में अपने निवेश
को बढ़ाये।