बुधवारीय- आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 20 अक्तूबर,
2009
वाटिकन सिटी, 2 सितंबर, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त
संत पेत्रुस महागिरजाघर में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित
किया। उन्होंने कहा मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षा माला में
हम मध्य युगीन ईशशास्त्री क्लेरभौक्स के संत बेरनार्ड के जीवन में चिंतन करें।
संत
बेरनार्ड ने अपने जीवन में दो बातों पर विशेष बल दिया। एक ओर तो उसने सिसटेरिचियन मठवासी
जीवन की तपस्या और प्रार्थनामय जीवन तो दूसरी ओर कलीसिया की सक्रिय सेवा करने के लिये
लोगों को प्रेरित किया।
बेरनार्ड की बौद्धिक क्षमता और गहन आध्यात्मिकता के कारण
लोग उनका बहुत सम्मान करते थे। कलीसिया ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि दी।
संत बेरनार्ड
ने धर्म के मर्म को समझाने के लिये कई ईशशास्त्रीय लेख और प्रवचन लिखे। सुलेमान के
सर्वश्रेष्ठ गीतों पर उन्होंने जो प्रवचन दिये उसे तो लोगों ने बहुत ही पसंद किया।
अपनी
बौद्धिक योग्यता के साथ-ही-साथ.संत बेरनार्ड ने लोगों के साथ भी अपना मधुर संबंध बनाये
रखा, काथलिक विश्वास की रक्षा की और यहूदी विरोधी काल में लोगों के विश्वास को सुदृढ़
बनाये रखने में कलीसिया को अपना योगदान दिया।
संत बेरनार्ड की आध्यात्मिकता प्रभु
येसु पर केन्द्रित थी। उन्हें मध्ययुग का प्रतिष्ठित डॉक्टर मेल्लीफिलुस पुरस्कार से
सम्मानित किया गया था।
संत बेनार्ड की एक और विशेषता थी कि वे माता मरिया के
परम भक्त थे। वे कुँवारी माता मरिया के समर्पण और बलिदान से बहुत प्रभावित थे।
आज
हम प्रार्थना करें कि संत बेरनार्ड का जीवन हमें प्रेरित करे ताकि हम भी उन्हीं के समान
प्रार्थना और सेवा दोनों को उचित महत्त्व दें ।
उन्हीं के समान हम भी अपने विश्वास
में सुदृढ़ हों प्रार्थना और चिन्तन करें ताकि हम भी एक दिन माता मरिया की मध्स्थता
से ईश्वरीय सुख प्राप्त कर सकें।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने तंजानिया, नीदरलैंड, नोरवे, स्वीडेन, आयरलैंड, नाइजिरिया और इंगलैंड
के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और
शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
वाटिकन
सिटी, 2 सितंबर, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत
पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं
में सम्बोधित किया।
उन्होंने कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज
की धर्मशिक्षा माला में हम मध्य युगीन ईशशास्त्री क्लेरभौक्स के संत बेरनार्ड के जीवन
में चिंतन करें।
संत बेरनार्ड ने अपने जीवन में दो बातों पर विशेष बल दिया। एक
ओर तो उसने सिसटेरिचियन मठवासी जीवन की तपस्या और प्रार्थनामय जीवन तो दूसरी ओर कलीसिया
की सक्रिय सेवा करने के लिये लोगों को प्रेरित किया।
बेरनार्ड की बौद्धिक क्षमता
और गहन आध्यात्मिकता के कारण लोग उनका बहुत सम्मान करते थे। कलीसिया ने उन्हें डॉक्टर
की उपाधि दी।
संत बेरनार्ड ने धर्म के मर्म को समझाने के लिये कई ईशशास्त्रीय
लेख और प्रवचन लिखे। सुलेमान के सर्वश्रेष्ठ गीतों पर उन्होंने जो प्रवचन दिये उसे तो
लोगों ने बहुत ही पसंद किया।
अपनी बौद्धिक योग्यता के साथ-ही-साथ.संत बेरनार्ड
ने लोगों के साथ भी अपना मधुर संबंध बनाये रखा, काथलिक विश्वास की रक्षा की और यहूदी
विरोधी काल में लोगों के विश्वास को सुदृढ़ बनाये रखने में कलीसिया को अपना योगदान दिया।
संत बेरनार्ड की आध्यात्मिकता प्रभु येसु पर केन्द्रित थी। उन्हें मध्ययुग का
प्रतिष्ठित डॉक्टर मेल्लीफिलुस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
संत बेरनार्ड
की एक और विशेषता थी कि वे माता मरिया के परम भक्त थे। वे कुँवारी माता मरिया के समर्पण
और बलिदान से बहुत प्रभावित थे।
आज हम प्रार्थना करें कि संत बेरनार्ड का जीवन
हमें प्रेरित करे ताकि हम भी उन्हीं के समान प्रार्थना और सेवा दोनों को उचित महत्त्व
दें ।
उन्हीं के समान हम भी अपने विश्वास में सुदृढ़ हों प्रार्थना और चिन्तन
करें ताकि हम भी एक दिन माता मरिया की मध्स्थता से ईश्वरीय सुख प्राप्त कर सकें।
इतना
कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने तंजानिया, नीदरलैंड, नोरवे,
स्वीडेन, आयरलैंड, नाइजिरिया और इंगलैंड के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार
के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
दिया।