जबलपुर 9 अक्तूबर, 2009। चर्च ने मध्यप्रदेश सरकार के उस आदेश का विरोध किया है जिसमें
चर्च को अपनी सम्पति के बारे में जानकारी देना है। झाबुआ के धर्माध्यक्ष देवप्रसाद
गनवा ने उक्त बात की जानकारी देते हुए बताया कि झाबुआ जिले के शिक्षा अधिकारी ने 13 अक्तूबर
को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि चर्च को अपनी ज़मीन गिरजाघरों और कब्रस्थान के बारे में
व्यौरा तीन दिन के अन्दर सरकार को सौंपना है। धर्माध्यक्ष के अनुसार यह अधिसूचना
सिर्फ़ चर्च को दी गयी है अन्य धर्मावलंबियों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। धर्माध्यक्ष
गनवा ने इस आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वे इस मुद्दे को वे कोर्ट
में जायेंगे और शिक्षा विभाग के विरुद्ध में अपील करेंगे। उनका मानना है कि अगर इस
आदेश को को मान लिया जाये तो पूरे चर्च पर इसका व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लेओ कोरनेलियो इस इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए
कहा है इस आदेश के पीछे सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है। उनका कहना है कि एक शिक्षा
विभाग को कब्रस्थान के हिसाब-किताब से क्या लेना देना है। महाधर्माध्यक्ष ने इस बात
के लिये चिंता जतायी है कि शिक्षा विभाग ने उन जमीनों के बारे में खुलासा करने का आदेश
दिया जो या तो लीज पर या दान में चर्च को हस्तांतरित किये गये हैं। उन्होंने कहा
कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिये अल्पसंख्यक आयोग बनाया गया है इसलिये शिक्षा
विभाग को सीधे चर्च से सम्पति का व्यौरा माँगना उचित नहीं है। उन्होंने इस बात की भी
जानकारी दी है कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस संबंध में बातचीत हुई
है और उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की चर्च की संपति को हथियाने की कोई योजना नहीं
है। ज्ञात हो कि जब से मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार बनी है अल्पसंख्यकों को परेशान
करने का सिलसिला जारी है। इस संबंध में उकान सूत्रों ने राज्य अल्पसंख्यक आयोग के
सिक्ख सदस्य कुलवंत सिंह सचदेवा से बातचीत की। उन्होंने बताया कि उन्हें इस तरह के कोई
भी आदेश के बारे में कोई जानकारी नहीं हैं। मध्यप्रदेश में चर्च के प्रवक्ता फादर
आनन्द मुत्तुंगल का कहना है कि बीजेपी सरकार अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिये ऐसी
दुविधापूर्ण आदेश जारी किये हैं। अगर यह ' सच ' है तो अन्य अल्पसंख्यक समुदाय को
भी इसकी सूचना दी जानी चाहिये थी।