2009-10-16 16:19:52

अफ्रीका में मानव मर्यादा के हनन की नवीन तकनीकियों पर चिंता


अफ्रीका के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा का दूसरा विशेष सम्मेलन वाटिकन में 4 से 25 अक्तूबर तक सम्पन्न हो रहा है। सेनेगल के कार्डिनल सार ने कहा है कि पश्चिमी जगत को इस विचार से मुक्त पाने की जरूरत है कि इसकी मान्यताएँ और व्यवहार विश्व के लिए नियम बनें। दकार के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल थयोदोर अद्रियन सार ने बुधवार को प्रेस सम्मेलन के दौरान उक्त बात की पुष्टि की। कार्डिनल सार ने एक प्रकार के सांस्कृतिक उपनिवेशवाद की ओर इंगित किया जो महाद्वीप को भेजी जानेवाली मानवीय सहायता पर जीवन विरोधी शर्त्तें लगाती है। उन्होंने कहा कि यदि पाश्चात्य जगत हमें सहायता करना चाहता है तो उन्हें वे सब विचारों, आईडियास को हमें नहीं देने चाहिए जो हमें सही प्रतीत नहीं होती हैं। हमें यथार्थ में सहायता करें लेकिन हम जो हैं उसका सम्मान किया जाये। संस्कृति और मर्य़ादा के संदर्भ में केन्या में नैरोबी के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जोन नजुए ने उन्हों भावनाओं को व्यक्त किया। उन्होंने जोर दिया कि सहयोग और सहायता जरूरी हैं लेकिन यह भी आवश्यक है कि अफ्रीकी जनता की स्वतंत्रता, उनके दृष्टिकोण, संस्कृति और मर्यादा का सम्मान किया जाये। उन्होंने कहा कि सहायता देना उचित नहीं है जब यह लोगों के जीवन मूल्यों में परिवर्तन करने की शर्ते से जुडा हो। कार्डिनल नजुए ने कहा कि अफ्रीकियों को सहयोग की जरूरत है लेकिन उनकी स्वतंत्रता,संस्कृति और मानवीय मर्यादा का सम्मान करना भी आव्श्यक है। दक्षिण अफ्रीका में डरबन के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल विल्फ्रेड फोक्स नेपियर ने स्वीकार किया कि अफ्रीका में कठिन स्थिति है। संघर्षों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण अफ्रीका महाद्वीप को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है लेकिन अफ्रीकी जनता की स्वतंत्रता के प्रति सम्मान भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अफ्रीका में प्रचुर क्षमता है और इसके विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तथापि अफ्रीका वासी चाहते हैं कि सहयोग समानता के आधार पर हो।









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