2009-10-14 12:33:32

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


रोम, 13 अक्तूबर, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

मेरे अति प्रिय भाइयों एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला में हम 12वी सदी के एक महान् मठाधीश क्लुनी के माननीय पीटर के जीवन पर मनन-चिन्तन करें।

मठाधीश की जिम्मेदारियों और चर्च की सेवा में अक्सर यात्रा करते रहने के बावजूद पीटर ने मननशील भावना, गहरी आंतरिक शांति, कठोर तप और अपने मिलनसार व्यक्तित्व की क्षमता को बनाये रखा।

पीटर की एक खूबी थी वह ईश्वरीय प्रेम और पड़ोसी प्रेम को एकसूत्र में बाँधने की कला में निपुण था।

वह कलीसिया के सदस्यों से कहा करता था कि वे उनके लिये प्रार्थना करें जो धर्म के नाम पर जो दुःख उठाते हैं या उसके लिये अत्याचार सहते हैं।

पीटर यह भी चाहते थे कि यहूदियों और मुसलमानों से कलीसिया का संबंध सौहार्दपूर्ण रहे।

पीटर के जीवन में प्रार्थना का विशिष्ट स्थान था और वे सदा चाहते थे कि प्रार्थनामय जीवन को मजबूत करे। इसके लिये वे हमेशा येसु के जीवन और मृत्यु के रहस्यों पर बेनेदिक्तिन तरीकों से मनन-चिन्तन किया करते थे।

पीटर ही ने क्लूनी में येसु के रूपांतरण का त्योहार मनाने की परंपरा आरंभ की। उन्होंने कलीसिया के लिये प्रार्थनायें भी बनाये जिसमें येसु के महिमान्वित जीवन के बारे में चर्चा की है।
आज के व्यस्तम जीवन को अर्थपूर्ण तरीके से जीने के लिये संत पीटर ने लोगों के सामने संत बेनेदिक्त के जीवन का आदर्श प्रस्तुत किया।

आज हम प्रार्थना करें कि हम भी संत बेनेदिक्त के समान ही प्रार्थना करें और अपने पड़ोसियों को प्यार भी करें और तब ही समाज का नवीनीकरण संभव हो पायेगा।


इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने अग्रेजी भाषा-भाषियों, विद्यार्थियों, तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की याचना की और उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया













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