2009-10-12 12:32:04

संत खुद के लिये नहीं ईश्वर के लिये जीते – संत पापा


वाटिकन सिटी, 12 अक्तूबर, 2009। ईसाइयों के महाधर्मगुरु संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि संत दुनिया की हवा में नहीं बहते और स्वयं को जीवन का केन्द्र बिन्दु नहीं मानते, पर सुसमाचार के मूल्यों के अनुसार जीवन जीते हैं।

संत पापा ने उक्त बातें उस समय हीं जब वे 11 अक्तूबर को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में आयोजित संत घोषणा समारोह में हज़ारों लोगों को प्रवचन दे रहे थे।

संत पापा ने रविवारीय सुसमाचार पाठ के आधार पर उपदेश देते हुए कहा कि ईसाई बुलाहट का अर्थ है कि हम येसु के लिये अपना सब कुछ छोड़ दें और ग़रीबों के लिये कार्य करें।

उन्होंने आगे कहा आम लोगों के लिये येसु का यह आह्वान बहुत कठिन है पर संत इसे सहर्ष स्वीकार करते हैं और अपना सारा जीवन क्रूसित येसु के लिये समर्पित कर देते हैं।

संत अपनी इच्छा के अनुसार नहीं पर सुसमाचार के शब्दों के अनुसार जीवन जीते और अपना जीवन दूसरों के लिये देते हैं।

ज्ञात हो कि रविवार 11 अक्तूबर को संत पापा ने काथलिक कलीसिया के पाँच धन्यों को संत घोषित किया।

काथलिक कलीसिया के नये संतों में एक धर्माध्यक्ष दो पुरोहित एक ब्रदर और एक धर्मबहन हैं।

धर्माध्यक्ष सिगमुंड फेलिक्स फेलिनस्की पोलैंड निवासी, फ्रांसिस्को कोल ये गुईतार्त स्पेन के, जोसेफ दे देमियन वेउस्तर बेलजियम के, रफाएल आरनेज बारोन स्पेन के औऱ मारी दे ला क्रोइक्स जेन जुगन फांस की रहने वाली थी। यह भी विदित हो कि जोसेफ से देमियन ने हवाई द्वीप के होनोलुलु में कुष्ट रोगियों की सेवा में अपना विशेष योगदान दिया।

संत पापा ने कहा कि संत हमारे जीवन को प्रेरित करें ताकि हम भी उन्हीं के समान ईश्वर पर पूरी आस्था रखें और लोगों को अपना प्यार दें।

संत पापा ने लोगों आमंत्रित करते हुए कहा कि वे संतों के उदाहरण से प्रेरित हों और उनके बताये गये पथ पर चलें ताकि पूरी दुनिया ईश्वर के प्रेम की महिमा गा सके।











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