बपटिस्ट पास्टर अशोक दिगल की हत्या के मामले में 5 युवकों को आजीवन कारावास तथा 5 हजार
रूपये जुर्माना की सजा
भारत के उड़ीसा राज्य में बपटिस्ट पास्टर अशोक दिगल की हत्या के मामले में अदालत ने 5
चरमपंथी हिन्दु युवकों को आजीवन कारावास तथा 5 हजार रूपये जुमार्ना अदा करने की सज़ा
सुनायी है। 40 वर्षीय अशोक दिगल राइकिया प्रांत में मंदाकिया ग्राम पंचायत के अंतर्गत
तोतोमाहा गाँव में प्रोटेस्टंट समुदाय के पास्टर थे। हिन्दु चरमपंथियो ने ईसाई विरोधी
हिंसा और आगजनी के माहौल में 26 सितम्बर 2008 को उनकी हत्या कर दी थी। हत्या से पूर्व
चरमपंथियों ने उसे ईसाई धर्म का परित्याग कर हिन्दु धर्म अपनाने के लिए दबाव दिया था।
जब उसने इंकार किया तो बेरहमी से हत्या कर उसके शरीर के टुकडे टुकडे कर दिये गये थे।
अदालत द्वारा हत्या के अभियुक्तों को सज़ा दिये जाने से कंधमाल में ईसाई समुदाय में न्याय
पाने की आशा नवीकृत हो गयी है। अशोक के भाई जयप्रकाश ने कहा उन्हें खुशी है कि जजों ने
उनके भाई की आत्मा को न्याय दिलाया है। इन बर्बर कृत्यों के लिए हत्यारों को कठोरतम सज़ा
दी जानी चाहिए। 48 वर्षीय बुलगान दिगल ने कहा कि जब वे समाचारों में अभियुक्तों को बरी
किया जाने का समाचार पढ़ते हैं तो निरूत्साहित हो जाते हैं। अभियुक्तों को सज़ा दिये
जाने का यह निर्णय गवाहों को बल प्रदान करेगा, कंधमाल में हिंसा के शिकार हुए लोगों के
बीच विश्वास की बहाली करेगा तथा लोगों के लिए सबक होगा कि भविष्य में इस प्रकार के आपराधिक
कृत्यों में वे शामिल नहीं हों। भुवनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष रफायल चिन्नाथ ने आशा व्यक्त
की है कि इस फैसले को सुनकर गवाहों को बल मिलेगा कि वे खतरों के बावजूद सत्य् के समर्थन
में गवाही दें। उन्होंने गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने सहित मामले की गहन जाँच पड़ताल
का आग्रह किया है ताकि भयानक अपराध और जघन्य हत्या के अभियुक्त मामले से बरी न कर दिये
जायें। ईसाई विरोधी हिंसा, दंगों आगजनी और हत्या के मामलों में अबतक अदालत ने 19 व्यक्तियों
को सज़ा सुनाई है जबकि 88 लोग आरोप मुक्त कर दिये गये हैं।