2009-09-17 16:38:53

श्रीलंका के शरणार्थियों के लिए तमिलनाडु में प्रार्थना और तपस्या का दिवस


तमिलनाडु में काथलिक कलीसिया ने श्रीलंका के शरणार्थियों के समर्थन में 19 सितम्बर को प्रार्थना और तपस्या का दिवस मनाने का काथलिक विश्वासियों से आग्रह किया है। मदुरै के महाधर्माध्यक्ष पीटर फर्नान्डो ने एशिया समाचार से कहा कि श्रीलंका में तमिलों की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए त्रिंकोमाल्ली और मन्नार धर्मप्रांत के धर्माध्यक्षों को आमंत्रित किया था ताकि युद्ध के बाद शिविरों में रह रहे सैकड़ों हजारों शरणार्थियों के बारे में वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त हो सके। श्रीलंका में अब भी 2 लाख 60 हजार लोग शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं वे मानवतावादी संकट का सामना कर रहे हैं जो मानवाधिकार संबंधी अंतरराष्ट्रीय मंचों के ध्यान में नहीं लाया जा रहा है। मदुरै के महाधर्माध्यक्ष ने शरणार्थियों के पुर्नवास का आश्वासन देने, आर्थिक सहायता देने के संकल्प को पूरा करने की गारंटी देने का आह्वा करते हुए तमिलनाडु के अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे शरणार्थियों को सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार पर दबाव बनायें। कलीसिया अपनी करफ से डाक्टरों, नर्सों और परामर्शदाताओं का समूह तैयार कर रही है जो शिविरों में प्रवेश की अनुमति प्राप्त हो तो वहाँ रह रहे आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लोगों को सहायता दे सकें। पुर्नवास कार्य़ की धीमी गति पर गहन चिंता व्यक्त की जा रही है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार कोलम्बो सरकार लोगों के पुर्नवास के प्रति अपने संकल्प को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन इसे दो समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर युद्ध का आंगण रहे क्षेत्र और गाँवों को पुनः प्राप्त करने में विलम्ब हो रहा है तो दूसरी ओर सेना का रोक टोक है जो प्रत्येक तमिल में तमिल टाईगर्स आतंकवादी की छवि देखती है। स्थानीय सूत्र के अनुसार सेना का एजेंडा सरकार के एजेंडा से भिन्न है जिन शरणार्थियों को शिविरों से मुक्त कर ट्रांजिट केन्द्रों को भेजे जाते हैं उन्हें बहुधा वापस भेज दिया जाता है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि सरकार प्रस्ताव करती है और सेना उसे खारिज करती है।








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