विश्वास की अभिव्यक्ति भले कार्यों से हो – संत पापा
कास्तेल गंदोल्फो, 14 सितंबर, 2009। विश्वास की अभिव्यक्ति हमारे कार्यों से होनी चाहिये
तब ही हमें मुक्ति प्राप्त होगी।
उक्त बातें संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने उस
समय कहीं जब वे कासतेल गंदोल्फो स्थित अपने ग्रीष्मकालीन आवास में आयोजित रविवारीय देवदूत
प्रार्थना में तीर्थयात्रियों को संबोधित कर रहे थे।
संत पापा ने रविवारीय सुसमाचार
पाठ के आधार पर चिन्तन प्रस्तुत करते हुए कहा कि येसु के चेले - पेत्रुस और अऩ्य शिष्यों
ने येसु पर न केवल विश्वास किया कि वे गुरु और नबी हैं पर उन्होंने अपने कार्यों से यह
भी दिखाया कि वे इनसे भी महान् हैं।
येसु ने अपने शिष्यों से इस बात को भी बताया
कि उन्हें न केवल विश्वास करना है वरन् उसी प्रेम और क्रूस के मार्ग पर चलना है जिससे
होकर येसु पिता ईश्वर के पास पहुँचे।
संत पापा ने आगे बताया कि येसु मसीह इस
दुनिया में आये ताकि दुनिया को जीवन का मार्ग दिखा सकें - एक ऐसा मार्ग जिसमें प्रेम
हो और इसी के द्वारा हम अपने विश्वास की वास्तविक अभिव्यक्ति कर सकते हैं।
संत
पापा ने यह भी कहा कि यदि एक व्यक्ति कहता है कि वह विश्वासी है और अपने भाई से प्रेम
नहीं करता है तो वह सच्चा विश्वासी नहीं है। ईश्वर भी ऐसे लोगों को प्यार नहीं करते हैं
।
इस अवसर पर संत पापा ने कहा कि जो व्यक्ति अपने उदार और खुले मन से दूसरे को
प्यार करता है वही व्यक्ति ईश्वर को सही रूप में पहचाना है।
अपने संदेश में संत
पापा ने इस बात को भी बताया कि सोमवार को पवित्र क्रूस के विजय का त्योहार मनाया जायेगा
और मंगलवार 15 सितंबर को मरिया दुःखों की रानी का पर्वोत्सव मनाया जायेगा।
माता
मरिया के बारे में उन्होंने कहा कि उनका विश्वास ईश्वर पर इतना गहरा था कि उन्होंने अंतिम
तक अपने पुत्र के दुःख में उनका साथ दिया।
संत पापा ने लोगों को इस बात के लिये
प्रोत्साहन दिया कि वे माता मरिया से प्रेरणा प्राप्त करें, नम्रतापूर्वक ईश्वर के लिये
दुःख झेलते रहें और अपने विश्वास में अडिग रहें तो हम माता मरिया के समान ही ईश्ववरीय
महिमा को देख पायेंगे।