बुधवारीय- आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 9 सितंबर,
2009
वाटिकन सिटी, 2 सितंबर, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने पौल षष्टम सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित
किया। उन्होंने कहा-
मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षा माला में
हम एक महान् लेखक संत पीटर दामियन के जीवन पर मनन-चिंतन करें।
संत पीटर दामियन
का जन्म ग्यारहवीं सदी में रावेन्ना में हुआ था। संत पीटर दामियन को आरंभ से ही प्रकृति
से बहुत लगाव था और उन्होंने प्रकृति में ही ईश्वर को पाने का प्रयास किया।
उनके
अनुसार पूरी सृष्टि ईश्वर द्वारा लिखित एक दृष्टांत है जिस पर मनन-चिंतन करते हुए ईश्वर
के पास पहुँचा जा सकता है।
उन्होंने सृष्टि से प्रेरणा पाकर कवितायें लिखीं।
सृष्टि में ही ईश्वर को खोजते हुए ईश्वरीय बुलाहट को पहचाना और बाद में एक मठवासी के
रूप अपने आपको फोन्ते अभेलाना के मठ में समर्पित किया।
संत पीटर दामियन आरंभ से
ही येसु के पवित्र क्रूस के रहस्य से बहुत ही प्रभावित थे। उन्होंने पवित्र क्रूस के
रहस्य को समझने और उसकी भक्ति को बढ़ाने के भी प्रयास किये।
संत पीटर दामियन
सदा ही बाईबल का पाठ पढ़ा करते थे और उसी के आलोक में पवित्र तृत्व के रहस्य को समझने
का प्रयास करते थे।
इतना ही नहीं संत पीटर दामियन ने पवित्र तृत्व को समझने के
प्रयास के साथ मानव का येसु के संबंध और व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ के संबंध कैसा
हो इस पर भी लोगों को व्यावहारिक सुझाव दिये। बाद में उन्हें आस्तिया का महाधर्माध्यक्ष
बना दिया गया।
अपने कार्यों को बखूबी करने के साथ उन्होंने विभिन्न बातों में
संत पापा को भी अपनी सलाह दिया करते थे ताकि कलीसिया का पुनर्निर्माण हो सके।
संत
पीटर दामियन ने दस साल तक अपनी सेवायें दीं, फिर अपने मठ में वापस चले गये और जीवन भर
कलीसिया की सेवा करते रहे।
सन् 1072 में उनकी मृत्यु हो गयी। आज आइये हमे संत
पीटर दामियन की मध्यस्थता से प्रार्थना करें ताकि सब ख्रीस्तीय येसु और के कलीसिया और
लोगों की सेवा के लिये अपने आप को समर्पित करें।
इतना कहकर संत पापा
ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने इंगलैंड, स्कॉटलैंड, डेनमार्क, स्वीडेन,
जापान, आयरलैंड और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों
पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।