2009-09-05 12:49:20

अन्न-वितरण मामले में चर्च के योगदान का विरोध


राँची, 5 सितंबर, 2009। कट्टरवादी हिंदुओं के कुछ दलों ने झारखंड सरकार के उस निर्णय का विरोध किया है कि काथलिक कलीसिया की संस्थायें सूखाग्रस्त क्षेत्र में अन्न के बँटवारे में अपनी सेवा प्रदान करें।
विदित हो 31 अगस्त को राज्यपाल के निजी सलाहकार ने टी.पी. सिन्हा ने राँची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी, टोप्पो से अपील की थी कि वे सरकार के अन्न-वितरण योजना में मदद दें।
अतिवादी हिन्दुओं को भय है कि इससे राज्य परोक्ष रूप से चर्च के धर्मांतरण कार्यक्रम में मदद पहुँचाएगी।
केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा है कि सरकार एक षडयंत्र के तहत ईसाइयों को मदद पहुँचा रही है ताकि अगले चुनाव में काँग्रेस की सरका बने।
उनका कहना है कि सरकार को चाहिये कि वे विभिन्न गैर सरकारी संस्थायों को माध्यम से अन्न-वितरण की योजना को कार्यरूप दे। उन्होंने धमकी दी है कि वि सभी अऩ्न भंडारों को सील कर देंगे।
कार्डिनल ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि देश के कई बड़े नेताओं ने मिशनरी शिक्षण संस्थायों में शिक्षा ग्रहण किया है यहाँ तक की बीजेपी के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवानी की शिक्षा-दीक्षा मिशनरी स्कूल में हुई पर क्या उन्हें ईसाई बनने के लिये बाध्य किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि चर्च पर यह आरोप लगाने की रट लगाना कि चर्च प्रलोभन के द्वारा धर्मपरिवर्त्तन कराती है, निराधार है। कार्डिनल ने कहा कि अगर सरकार ने विपत्ति के समय में चर्च की मजबूत संरचना सदुपयोग करना चाहती है तो इसमें चर्च की क्या गलती है।








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