पाकिस्तान के क्वेटा शहर में विगत सप्ताह 5 ईसाईयों की गोली मारकर हत्या करने का समाचार
मिला है। इस तरह विगत सप्ताहों में देश में मारे जानेवाले ईसाईयों की संख्या 12 से अधिक
हो गयी है । वटिकन रेडियो नें स्थानीय सूत्रों का हवाला देते हुए 28 अगस्त को हुई हत्याओं
की जानकारी दी। स्मरण रहे कि जुलाई माह को अंत तथा अगस्त माह के आरम्भ में 11 ईसाई मारे
गये थे तथा ईसाईयों के लगभग 100 घरों को जला दिया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि दोनों
घटनाओं के हमलावर एक ही समूह के हैं जो तालिबानी प्रभाव के चरमपंथी हैं। लाहौर के महाधर्माध्यक्ष
लोरेंस सल्दान्हा ने खेद व्यक्त किया है कि एक माह बीत जाने के बाद भी किसी भी अभियुक्त
को सज़ा नहीं दी गयी है। उनकी आशंका है कि अपराधी बच निकलेंगे तथा मामले को ठंढे बस्ते
में डाल दिया जायेगा। इस बीच वर्ल्ड कौंसिल आफ चर्चेज ने पाकिस्तान से ईशनिन्दा कानून
को वापस लिये जाने का तथा देश में अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को गारंटी प्रदान
किये जाने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि इस कानून के कारण अल्पसंख्यक समुदाय के
लोग पाकिस्तान में भय और आतंक की अवस्था में जीवन जीते हैं क्योंकि बहुत बार व्यावसायिक
विवादों को निपटाने के लिए तथा अल्पसंख्यकों को सज़ा देने के लिए इस कानून का दुरूपयोग
किया जाता है। 1986 में ईशनिन्दा कानून को लागू करने के बाद से अबतक 1000 लोगों को कानूनी
कार्य़वाही का सामना करना पडा है। कानून के तहत 120 ख्रीस्तीयों को सज़ा दी गयी है। पाकिस्तान
में आबादी का मात्र 1.6 प्रतिशत ईसाई हैं।