'ग्रामीण विकास पर बल, हरित क्रांति की ज़रूरत'- प्रधानमंत्री
नयी दिल्ली, 15 अगस्त, 2009। भारत की आज़ादी की 62वीं वर्षगांठ पर लालकिले से देशवासियों
को अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के ग्रामीण विकास पर विशेष
ध्यान देने की ज़रूरत है। उन्होंने एक और हरित क्रांति भारत में लाने की आवश्यकता है उन्होंने
कहा कि भारत में सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए एक क़ानून जल्द ही लाने की दिशा में
भी सरकार गंभीर है। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में स्वाइन
फ़्लू जैसी समस्या निपटने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर हर ज़रूरी
कोशिश करती रहेगी। साथ ही लोगों को बताया कि हालात ऐसे नहीं कि डर और घबराहट की वजह से
काम रुक जाएं. प्रधानमंत्री ने शनिवार की सुबह साढ़े सात बजे लालकिले पर भारत का राष्ट्रीय
तिरंगा झंडा फहराने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "पिछले दिनों हुए चुनावों
में देश का लोकतंत्र और मज़बूत हुआ है। आपने एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था को चुना है जो
धर्मनिरपेक्ष है। जो लोकतांत्रिक जीवन शैली आपने चुनी है, वो बातचीत से समाधान में विश्वास
रखती है। आपने नए युग की शुरुआत के लिए जनादेश दिया है." उन्होंने कहा कि शिक्षा के
क्षेत्र में संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. प्राथमिक शिक्षा लगभग हर बच्चे
की पहुंच में है। अब माध्यमिक शिक्षा पर बल देने की ज़रूरत है। "लोगों को अपने गुस्से
का इज़हार करने का पूरा हक़ है। इसके लिए हिंसा का सहारा लेने वालों के प्रति लोकतंत्र
में कोई जगह नहीं है। इनसे सख़्ती से निपटेंगे. सांप्रदायिक हिंसा को रोकने की दिशा में
क़ानूनी प्रावधान बनाए जाएंगे." चरमपंथ की समस्या पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुंबई
में आतंकी हमले के बाद ऐसी घटनाओं के ख़िलाफ़ कई क़दम उठाए गए हैं। सुरक्षा और खुफ़िया
तंत्र को लगातार बेहतर बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी स्वीकारा कि सामाजिक
और आर्थिक असंतोष के कारणों को खत्म करने का भी प्रयास करेंगे जिससे नक्सलवाद जैसी समस्या
पैदा होती है। महिलाओ की भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में बोलते हुए उन्होंने कहा,
"सरकार महिला आरक्षण विधेयक को जल्द से जल्द पास कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने
कहा कि हम पड़ोसियों के साथ अमन और शांति से रहना चाहते हैं। ऐसा माहौल पैदा करने की
पूरी कोशिश करेंगे जो दक्षिण एशिया के हित में हों। उधर तिरसठवें स्वतंत्रता की पूर्व
संध्या पर बोलते हुए भारत की पहली महिला राष्ट्रपति ने लोगों को बधाई दी और कहा है तरक्की
करने के लिये साम्प्रदायिक सद्बाव का धागा सबके मन में रहना ज़रूरी है हमारा संकल्प और
ह्रदय एक हो विचार संगठित हो और आपसी सद्भाव हो।