लाहौरः पाकिस्तान में ख्रीस्तीयों पर अत्याचार का विरोध करने के लिये काला दिन घोषित
पाकिस्तान एवं विश्व के दो करोड़ से अधिक लोगों ने ख्रीस्तीयों पर अत्याचार का विरोध
करने के लिये 11 अगस्त को विभिन्न प्रदर्शनों एवं प्रार्थना सभाओं द्वारा काला दिन मनाया।
एशिया समाचार के अनुसार पाकिस्तानी ख्रीस्तीय काँग्रेस के अध्यक्ष नाज़िर भट्टी
ने इस उपलक्ष्य में अमरीका तथा यूरोपीय संघ की सरकारों को पत्र लिखकर अपील की है कि वे
पाकिस्तान के ईश निन्दा कानून को रद्द कराने के लिये पाकिस्तान की सरकार पर दबाव डालें
क्योंकि इस कानून की आड़ में ही पाकिस्तान में ख्रीस्तीयों पर अत्याचार किये जाते हैं।
श्री भट्टी ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने 11 अगस्त को अल्पसंख्यक दिवस घोषित किया
किन्तु उनके लिये यह काला दिवस है और इस दिन वे पाकिस्तान के ख्रीस्तीयों के लिये शांति
एवं सुरक्षा में जीवन यापन का अधिकार मांगते हैं।
पाकिस्तानी काथलिक कलीसिया
की न्याय एवं शांति सम्बन्धी समिति के सचिव पीटर जैकब ने एशिया समाचार को बताया कि आगामी
दिनों में विरोध प्रदर्शनों के साथ अनेक पहलें आरम्भ की गई हैं जिनमें केवल ख्रीस्तीय
ही नहीं अपितु मानवाधिकार कार्यकर्त्ता एवं नागर समाज के प्रमुख सदस्य भाग लेनेवाले हैं।
मसलन, 11 अगस्त को पाकिस्तान के अल्पसंख्यक विधि निर्माता एवं प्रसाशकों ने एक प्रार्थना
सभा में भाग लिया। 12 अगस्त को लाहौर के नौलखा स्थित गिरजाघर में काथलिक एवं अन्य ख्रीस्तीय
सम्प्रदाय गोजरा नरसंहार में हत्या के शिकार लोगों की आत्मा शांति हेतु स्मारक ख्रीस्तयाग
में भाग लेंगे। 18 अगस्त को लाहौर में धर्मान्धता एवं ईश निन्दा कानून के विरुद्ध एक
विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया है जिसमें समाज के विभिन्न वर्ग भाग लेंगे। इन पहलों
के अतिरिक्त, ईश निन्दा कानून को रद्द करने के लिये हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा
है।
इस बीच, अन्तरराष्ट्रीय क्षमादान आयोग एमनेस्टी इन्टरनेशनल ने पाकिस्तानी
ख्रीस्तीयों के समर्थन में एक वकतव्य जारी कर इस्लामाबाद के अधिकारियों का आह्वान किया
है कि वे देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये अर्थपूर्ण कदम
उठायें।